सालबाई की संधि कब हुई?

सालबाई की संधि (Treaty of Salbai) –
17 मई 1782 को मराठा साम्राज्य और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध(1775ई.-1782ई.) को समाप्त करने के लिए लंबी बातचीत के बाद सिन्धिया ने पेशवा व अग्रेजों के मध्य सालबाई की संधि (1782 ) करवा दी ।
गुजरात में कर्नल गॉडर्ड व मराठों के बीच युद्ध चल रहा था।ब्रिटिश सेना के दबाव को कम करने के लिए नाना फङनवीस ने हैदरअली को कर्नाटक पर आक्रमण करने को कहा।इस पर हैदरअली ने कर्नाटक पर धावा बोल दिया।इसके बाद तो अंग्रेजों की निरंतर पराजय होने लगी। ब्रिटिश सेना का मनोबल गिरने लगा।अतः हेस्टिंग्ज ने एंडरसन को मराठों से बातचीत करने भेजा,बातचीत के दौरान हेस्टिंग्ज ने एंडरसन को तथा नाना फङनवीस को जो पत्र लिखे,उनसे स्पष्ट होता है कि वह संधि के लिए अत्यधिक व्यग्र हो रहा था। 17 मई,1782 को अंग्रेजों और मराठों के बीच साल्बाई की संधि हो गई।
संधि की शर्तें निम्नानुसार थी-
- इसके अनुसार सालसेट और थाना दुर्ग अंग्रेजों को मिले।
- अंग्रेजों ने राघोबा का साथ छोङने का आश्वासन दिया तथा मराठों ने रघुनाथराव (राघोबा) को25,000 रुपये मासिक पेंशन देना स्वीकार कर लिया।
- अंग्रेजों ने माधवराव द्वितीय को पेशवा तथा फतेहसिंह गायकवाङ को बङौदा का शासक स्वीकार कर लिया। बङौदा के जिन भू-भागों पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया था, उन्हें पुनः बङौदा के शासक को लौटा दिया।
- इस संधि की स्वीकृति के छः माह के अंदर हैदरअली जीते हुए प्रदेश लौटा देगा तथा वह पेशवा, कर्नाटक के नवाब और अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध में सम्मिलित नहीं होगा।
साल्बाई की संधि का सबसे महत्त्वपूर्ण महत्त्व यह था कि इसके बाद 20 वर्षों तक अंग्रेजों व मराठों के बीच शांति बनी रही।