सुर्जी अर्जुन गांव की संधि किस-किसके बीच हुई थी?

सुर्जी अर्जुन गांव की संधि – यह संधि दौलत राव सिन्धिया तथा अंग्रेजों के बीच हुई थी।
जनरल लेक ने उत्तरी भारत की विजय यात्रा आरंभ की। उसने सर्वप्रथम अलीगढ पर अधिकार किया। तत्पश्चात दिल्ली पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। फिर जनरल लेक ने भरतपुर पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। भरतपुर के शासक से सहायक संधि की। भरतपुर से वह आगरा की ओर बढा तथा आगरा पर अधिकार किया। अंत में लासवाङी नामक स्थान पर सिंधिया की सेना पूर्णतः पराजित हुई। अब सिंधिया ने भी अंग्रेजों से संधि करना उचित समझा। फलस्वरूप 30सितंबर,1803 को सुर्जी अर्जुनगाँव की संधि हो गयी। इस संधि के अनुसार सिंधिया ने दिल्ली,आगरा,गंगा-यमुना का दोआब, बुंदेलखंड, भङौंच,अहमदनगर का दुर्ग,गुजरात के कुछ जिले,जयपुर व जोधपुर अंग्रेजों के अधिकार में दे दिये। उसने कंपनी की सेना को भी अपने राज्य में रखना स्वीकार कर लिया। अंग्रजों ने सिंधिया को पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन दिया।
- इस सन्धि के फलस्वरूप दोनों के बीच चलने वाला युद्ध समाप्त हो गया।
- सन्धि के अनुसार शिन्दे ने अपने दरबार में ब्रिटिश रेजीडेन्ट रखना स्वीकार कर लिया और बसई की सन्धि को स्वीकार किया।
- शिन्दे ने निजाम के ऊपर अपने सारे दावे त्याग दिए और अंग्रेजों की सहमति के बिना अपनी नौकरी में किसी भी विदेशी को न रखने का वचन दिया।
- इस प्रकार उत्तरी भारत, दक्षिण तथा गुजरात में दौलतराव शिन्दे के समस्त राज्य पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
- शिन्दे ने राजपूताना के अधिकांश राज्यों की राजनीति में भी कोई हस्तक्षेप न करने का वचन दिया।
- अर्जुनगाँव की सन्धि के द्वारा शिन्दे की स्वतंत्रता समाप्त हो गई तथा उत्तरी भारत के अधिकांश भाग में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना साकार हुई।