अलबरूनी भारत क्यों आया था?

अबु रेहान अलबरूनी, जिसका असली नाम मुहम्मद बिन अहमद था, रवीवा (आजकल रवीवा रूस का एक प्रसिद्ध नगर है) का निवासी था वह 973 ई. में पैदा हुआ। वह एक एक फारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक था। जब महमूद गजनवी ने 1037 ई. में रवीवा प्रदेश (जो उस समय ख्वारिज्म राज्य में था) को जीता तो महमूद ने इस विद्वान् को पकड़ लिया। अलबरूनी जब गजनवी के साथ भारत आया तो भारत में सिंध का शासक दाहिर था।
अलबरूनी सुप्रसिद्ध इतिहासकार होने के साथ-साथ गणित, दर्शन आदि का भी ज्ञान रखता था। वह कई भाषाओं को अच्छी प्रकार से जानता था जैसे यूनानी, अरबी, फारसी और संस्कृत। वह महमूद गजनवी के साथ भारत आया। यहाँ रहकर उसने संस्कृत, धार्मिक पुस्तकों एवं दर्शन के साथ-साथ पुराणों एवं भगवद्गीता का भी अध्ययन किया। उसने जिस पुस्तक में भारतीय सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, जीवन के साथ-साथ दर्शन और विज्ञान का भी वर्णन किया है, उस पुस्तक का नाम “तहकीकात-ए-हिन्द” है। उसकी यह पुस्तक तत्कालीन इतिहास को जानने का प्रमुख साधन है। इसके अतिरिक्त उसने कई संस्कृत की पुस्तकों का फ़ारसी में अनुवाद किया। इस तरह उसने भारतीय साहित्य एवं दर्शन का मध्य एशिया में प्रचार करने में मदद की।उसकी मृत्यु 1050 ई. में हो गई। अलबरूनी ने भारत का वर्णन अपने शब्दों में किया।
अतः हम कह सकते हैं, कि अलबरूनी यह किताब(“तहकीकात-ए-हिन्द” ) लिखने के लिये भारत आया था, और उसने इसमें भारत की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को दर्शाया है।