कार्नवालिस कोड की प्रमुख विशेषता क्या थी?

कार्नवालिस कोड की प्रमुख विशेषता न्याय-व्यवस्था को प्रशासन से अलग करना था। कार्नवालिस कोड -लार्ड कार्नवालिस ने 1793 ई. में न्याय व्यवस्था में सुधार लाने के उद्देश्य से नियमों की एक संहिता तैयार करवाई जिसे कार्नवालिस कोड कहा जाता है। 1793 में कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को अंतिम रूप देते हुए एक “संहिता” (कार्नवालिस संहिता) के रूप में प्रस्तुत किया। कार्नवालिस के न्याय संबंधी सुधार कार्नवालिस कोड की विशेषताएँ (kaarnavaalis kod (sanhita) kya tha)
- कार्नवालिस के न्यायिक सुधार “शक्ति-पृथक्करण” (Separation of Powers) के प्रसिद्ध सिद्धांत पर आधारित थे।
- इस कोड की दो प्रमुख विशेषताएँ थी – 1.) फौजदारी न्यायालयों में भारतीय न्यायाधीशों के स्थान पर यूरोपीय न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं 2.) न्याय व्यवस्था को प्रशासन से अलग करना। हम कह सकते हैं कि – कर्नवालिस ने कर तथा न्याय प्रशासन को पृथक किया।
- कार्नवालिस के पहले जिला कलेक्टरों को न्याय का कार्य भी करना पङता था। परंतु कार्नवालिस कोड के अनुसार कलेक्टर को केवल राजस्व वसूली का कार्य सौंपा गया तथा न्याय कार्य के लिए प्रत्येक जिले में जिला जज नियुक्त किए गए।
- कार्नवालिस कोड में कठोर और अमानुषिक दंड समाप्त कर दिए गए। अंग-भंग, सूली पर चढा कर मारना आदि दंडों को समाप्त कर दिया गया तथा इसके स्थान पर अपराधियों को कठोर कारावास की सजा देने की व्यवस्था की गयी।
- वकीलों को लाइसेन्स देने की व्यवस्था की गयी। सरकार द्वारा वकीलों के लिए फीस निर्धारित कर दी गयी। इस नियम का उल्लंघन करने वालों को अयोग्य घोषित करने की व्यवस्था की गई।
- कार्नवालिस ने न्यायालय के अधिकारियों के वेतन बढा दिए। कंपनी के कर्मचारियों तथा अधिकारियों पर अनुचित अथवा गैर-कानूनी कार्य करने पर मुकदमा चलाये जाने की भी व्यवस्था की गयी।
Suman Changed status to publish मई 11, 2023