पेशवा कौन थे?

पेशवा –
मराठा साम्राज्य के प्रधानमन्त्रियों को पेशवा कहते थे। ये राजा के सलाहकार परिषद अष्टप्रधान के सबसे प्रमुख होते थे। राजा के बाद इन्हीं का स्थान आता था। छत्रपती शिवाजी महाराज के अष्टप्रधान मन्त्रिमण्डल में प्रधानमन्त्री अथवा वजीर का पर्यायवाची पद था। ‘पेशवा’ फारसी शब्द है जिसका अर्थ ‘अग्रणी‘ है।
जब 1689 में शिवाजी के पुत्र और उत्तराधिकारी शंभूजी को मुगल सेवाओं ने हरा कर मार दिया और उनके पुत्र शाहू को बंदी बना लिया तो यह औरंगजेब की विशेष सफलता थी। मराठा हार तो गए परंतु निर्जीव नहीं हुए। समस्त मराठा जनता मुगलों के विरुद्ध युद्ध में जुट गई और यह सर्वसाधारण का युद्ध बन गया। शिवाजी का छोटा पुत्र राजाराम यह युद्ध अपनी मृत्युपर्यन्त (1700 तक) लङता रहा और उसके बाद उसकी विधवा ताराबाई ने अपने अल्पव्यस्क पुत्र शिवाजी के अभिभावक होने के नाते, यह युद्ध जारी रखा और औरंगजेब का कङा विरोध किया। 1707 के बाद मुगल राज्य की शिथिलताओं ने मराठों को अवसर दिया। शाहू पुनः महाराष्ट्र में लौट आया। मराठों में नई स्फूर्ति आ गयी। 18 वीं शताब्दी के प्रथम चरणों में मराठों का दक्षिण और उत्तर की ओर दोनों दिशाओं में प्रसार हुआ। मराठों का हिन्दू राष्ट्र का स्वप्न साकार होने लगा। इस नवीन मराठा साम्राज्यवाद के प्रवर्तक पेशवा लोग थे जो छत्रपति शाहू के पैतृक प्रधान मंत्री थे।