बिना ईसर की गौर कहाँ मनाई जाती है?

बिना ईसर की गौर – जैसलमेर का शाही गणगौर दुनिया की सबसे निराली गणगौर है। यहाँ गवर अकेली पूजी जाती है। उनके पति ईसर नहीं होते हैं साथ में।
जैसलमेर में गणगौर की सवारी बड़े धूमधाम से दुर्ग से निकलती थी। इतिहासकार नंदकिशोर शर्म ने बताया कि रियासतकाल में राजपूताना कई रजवाड़ों में बंटा हुआ था। लोग परस्पर अहम ईर्ष्या भाव रखते थे। लूटपाट करते थे। एक बार जैसलमेर के महारावल गजसिंह के विवाह के अवसर पर सालमसिंह ने शादी के बाद दूल्हे पर स्वर्ण मुद्राओं की घोल कर उसे चंवरी में उछाला। यह बीकानेर के शासकों को अच्छा नहीं लगा। उस समय तो वह कुछ नहीं बोले। बाद में जैसलमेर पर धावा बोलने की फिराक में रहे ओर जैसलमेर क्षेत्र को लूटने लगे। जैसलमेर के लोग भी बीकानेर के पशुओं को चुराकर लाने की लूटपाट होती रही। उसी समय बीकानेर के लोगों ने गणगौर मेले के अवसर पर गड़ीसर जाती सवारी पर अचानक धावा बोल दिया। जैसलमेर के लोग लड़े उन्होंने गवर को तो बचा लिया लेकिन ईसर की प्रतिमा को ले जाने में बीकानेर के लोग सफल हो गए। तब से गणगौर अकेली सवारी में शोभायात्रा में निकलती है।