महारानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र की प्रमुख बातें क्या थी?

महारानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र की प्रमुख बातें क्या थी?
महारानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र – 1857 के विद्रोह के कारण जनसाधारण में एक अनिश्चितता उत्पन्न हो गयी थी। अतः विप्लव के बाद जनता के प्रति निश्चित नीति एवं सिद्धांतों की घोषणा के लिए इलाहाबाद में बङी धूमधाम से एक दरबार का आयोजन किया गया, जिसमें लार्ड केनिंग ने महारानी के घोषणा पत्र को पढकर सुनाया (1 नवंबर, 1858)।
इस घोषणा पत्र की प्रमुख बातें निम्नलिखित थी-
- भारत में जितना अंग्रेजों का राज्य है, उससे अधिक विस्तार की अब कोई इच्छा नहीं है। भविष्य में राज्य विस्तार नहीं किया जायेगा।
- देशी नरेशों व नवाबों के साथ जो समझौते और प्रबंध हुए हैं, उनका ब्रिटिश सरकार सदा आदर करेगी तथा उनके अधिकारों की सुरक्षा करेगी।
- धार्मिक सहिष्णुता एवं स्वतंत्रता का व्यवहार किया जायेगा तथा उनके कल्याण के लिए कार्य किये जायेंगे।
- प्राचीन रीति-रिवाजों, संपत्ति आदि का संरक्षण किया जायेगा।
- सभी भारतीयों को निष्पक्ष रूप से कानून का संरक्षण प्राप्त होगा।
- बिना किसी पक्षपात के शिक्षा, सच्चरित्रता और योग्यतानुसार सरकारी नौकरियाँ प्रदान की जायेगी।
- उन सभी विद्रोहियों को क्षमादान मिलेगा, जिन्होंने किसी अँग्रेज की हत्या नहीं की है।
महारानी की इस घोषणा को भारतीय स्वतंत्रता का मेग्नाकार्टा कहा गया, यद्यपि इस घोषणा की बहुत सी बातों को कभी लागू नहीं किया गया। किन्तु यह घोषणा 1919 तक भारतीय शासन की आधारशिला बनी रही। इस घोषणा ने भारत के देशी नरेशों के संदेह को दूर कर दिया तथा भारतीय नरेशों को सनदें देकर उनके गोद लेने के अधिकार की पुनः स्थापना की गयी। सर जॉन स्टीफन ने लिखा है, विक्टोरिया का घोषणा पत्र केवल दरबार में सुनाये जाने के लिए था।यह कोई संधि नहीं थी, जिसके अनुसार कार्य करने के लिए अँग्रेजों पर किसी प्रकार का उत्तरदायित्व हो।
परंतु इसमें कोई संदेह नहीं कि जिस उद्देश्य से यह घोषणा पत्र प्रकाशित किया गया था, उसकी पूर्ति अवश्य हुई। भारत की भोली-भाली जनता पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव पङा।