रणजीतसिंह के समय पंजाब छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था, ये राज्य क्या कहलाते थे?

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रणजीतसिंह के समय पंजाब छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था, ये राज्य क्या कहलाते थे?

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रणजीतसिंह के समय पंजाब छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था, ये राज्य मिस्ल कहलाते थे।

महाराजा रणजीतसिंह का शासन तंत्र

एकतंत्रीय शासन – रणजीतसिंह के शासन का स्वरूप एकतंत्रीय था। वह स्वयं संपूर्ण सत्ता का केन्द्रबिन्दु था और शासन के समस्त अधिकार उसी के हाथ में थे। राज्य के प्रत्येक महत्त्वपूर्ण मामले में उसका निर्णय अंतिम होता था। रणजीतसिंह अपने अधिकारियों के कार्यों पर पूरी निगरानी रखता था।

उसके शासनकाल में अधिकारियों को अनैतिक उपायों से धन संपत्ति जुटाने का अवसर नहीं दिया जाता था। प्रत्येक अधिकारी की मृत्यु होने पर उसकी धन संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में ले लेती थी और मृत अधिकारी के परिवार के भरण पोषण लायक धन दे दिया जाता था।

राजकीय सेवाओं और विशेषकर उच्च पदों पर योग्यता को अधिक महत्त्व दिया जाता था। राजकीय सेवाओं और विशेषकर उच्च पदों पर योग्यता को अधिक महत्त्व दिया जाता था और सिक्खों के अलावा अन्य लोगों को भी उच्च पदों पर नियुक्त कर रखा था। डोगरे अधिकारियों में ध्यानसिंह, गुलाबसिंह, सुचेतसिंह नामक तीनों भाई और ध्यानसिंह का लङका हीरासिंह मुख्य थे।

मुस्लिम सरदारों में फकीर अजीजुद्दीन और नुरूद्दीन मुख्य थे। यूरोपियनों में वेन्चुरा और अलॉर्ड प्रमुख थे। इससे स्पष्ट है कि रणजीतसिंह ने गुरुमत अर्थात् सिक्खों की प्रजातांत्रिक पद्धति को महत्त्व नहीं दिया और निरंकुश शासन की स्थापना की…अधिक जानकारी

 

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