रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित करने का मुख्य उद्देश्य क्या था?

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रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित करने का मुख्य उद्देश्य क्या था?

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रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित करने का मुख्य उद्देश्य कंपनी पर अंग्रेजी सरकार का नियंत्रण व अधिकार स्थापित करना था। कंपनी के शासन की बुराइयों को दूर करने के लिए 1773 में ब्रिटिश संसद ने रेग्युलेटिंग एक्ट पारित किया, जिसके द्वारा परिवर्तन निम्न प्रकार किए गए-
  • गवर्नर जनरल की शक्तियों में वृद्धि
  • सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना
  • वित्तीय मामलों में सुधार
  • कार्यकाल में परिवर्तन

रेग्युलेटिंग एक्ट का महत्त्व

पार्लियामेंट में एक्ट पास करते समय इसकी बङी आलोचना हुई। प्रसिद्ध वक्ता एडमंड बर्क ने इस नियम को राष्ट्रीय न्याय, विश्वास और अधिकार का उल्लंघन कहा। हाउस ऑफ लार्ड्स के कुछ सदस्यों ने इस नियम को इंग्लैण्ड के संविधान का उल्लंघन कहा। उपरोक्त दोनों आलोचनाओं का अभिप्राय यह था कि कंपनी की स्वायत्तता तथा अधिकार पहले पार्लियामेंट और सम्राट द्वारा दिए हुए थे उनको वापस लेकर संशोधन करना अनुचित था। यह युग जार्ज तृतीय की बढती हुई निरंकुशता का समय था। बहुत से सांसद इस प्रवृत्ति के समर्थक नहीं थे। यह एक्ट कंपनी की व्यवस्था सुधारने का पहला प्रयत्न था और इस दृष्टि से कुछ दोष रह जाने स्वाभाविक थे। कुछ दिशाओं में यह अधिनियम अत्यधिक अस्पष्ट तथा अनिश्चित था। भारत में कंपनी की तीनों प्रेसिडेंसियों को एक केन्द्र के अधीन करने का यह पहला प्रयास था। पार्लियामेंट का नियंत्रण भी निश्चित रूप से स्थापित नहीं हुआ था। इस एक्ट के द्वारा कंपनी के राजनीतिक लक्ष्य तथा अस्तित्व को स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया गया था। 1774-83 ई. के मध्य विभिन्न घटनाओं ने इस एक्ट के व्यावहारिक दोषों को स्पष्ट किया। कौंसिल के बहुमत मात्र के आधार पर नीति संचालन से गवर्नर जनरल को विभिन्न अवसरों पर कठिनाई का सामना करना पङा था। बंबई और मद्रास सरकार को निश्चित रूप से बंगाल सरकार के अधीन करना अधिक आवश्यक हो गया था। सुप्रीम कोर्ट के संदर्भ में दोषों को 1781 ई. के एक नियम द्वारा दूर कर दिया गया और उसके कार्य क्षेत्र की भी अधिक स्पष्ट रूप से व्याख्या कर दी गयी…अधिक जानकारी  
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