व्यपगत का सिद्धांत क्या था?

व्यपगत का सिद्धांत – इस सिद्धांत को गोदनिषेध सिद्धांत, राज्य हङप नीति सिद्धांत भी कहा जाता है। इस नीति के तहत तीन प्रकार के राज्यों का निर्धारण किया गया था –
वे रियासतें जो कभी किसी के अधीन नहीं रही।
वे रियासतें जो मुगलों के अधीन रही बाद में अंग्रेजों के अधीन हो गयी।
वे रियासतें जो अंग्रेजों के द्वारा निर्मित की गयी।
व्यपगत सिद्धांत दूसरी व तीसरी प्रकार की रियासतों पर लागू किया गया। इस नीति के तहत सबसे पहले सतारा, जैतपुर, बंगाल, संभलपुर, उदैपुर, झाँसी, नागपुर इत्यादि राज्यों को मिलाया गया।
कुशासन के आधार पर अवध का विलय कर लिया गया और इसके लिए आउट्रम रिपोर्ट को आधार बनाया गया।
इस समय अवध का नवाब वाजिद अली शाह था। निजाम के ऊपर ऋण होने के कारण डलहौजी ने उससे बरार का कपास उत्पादक क्षेत्र ले लिया। इसके काल में पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। और 1852 में निम्न बर्मा को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
1850 में सिक्किम को भी ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया।
लॉर्ड डलहौजी ने ईनाम कमीशन के तहत लगभग 2,000 जागीरों को जब्त कर लिया था।
इसके काल में 1853 में बंबई व थाणे के बीच पहली रेलवे लाइन शुरू की गयी।
बंबई से आगरा के बीच टेलीग्राम लाइन और पोस्ट-ऑफिस व्यवस्था भी इसी के काल में शुरू हुई। इसी ने सार्वजनिक निर्माण विभाग का भी गठन किया। लोक-शिक्षा विभाग का गठन भी किया गया।
1850 में धार्मिक-निर्योग्यता अधिनियम बना, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को इसाई धर्म स्वीकार करने पर उसको उसकी पैतृक संपत्ति से वंचित नहीं किया जायेगा।