सती प्रथा क्या थी?

सती प्रथा – सती प्रथा में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को भी चिता पर बिठा दिया जाता था। उसे भी अपने प्राण त्यागने के लिए विवश किया जाता था। आधुनिक भारत के जनक राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा को खत्म करने के लिए कई जतन किए। इसी के साथ उन्होंने विधवा विवाह को भी सही ठहराया। राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा जैसी गलत परंपराओं और उनके बुरे प्रभावों के साथ उसके निवारण पर हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषा में पुस्तकें लिखकर फ्री में बंटवाईं। 4 दिसंबर, साल 1829 को लॉर्ड विलियम बेंटिक की अगुवाई और राजा राम मोहन राय जैसे भारतीय समाज सुधारकों के प्रयासों से सती प्रथा पर भारत में पूरी तरह से रोक लगी थी।
इस प्रथा के चलते ही 1829 ई. में विलियम बैंटिक के कानून के बाद अलवर रियासत के शासक द्वारा 1830 को इसे गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। जयपुर रियासत में 1844 में मेजर जॉन लङलू द्वारा सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 1846 ई. में दलपतसिंह के शासन काल में प्रतापगढ में सती प्रथा पर रोक लगायी।