हल्दीघाटी नामक स्थल कहाँ स्थित है?

हल्दीघाटी – राजस्थान के राजसमंद के नाथद्वारा से लगभग 11 किलोमीटर पश्चिम में मेवाङ की इतिहास प्रसिद्ध रणस्थली हल्दीघाटी है। सन् 1576 में शोर्य एवं पराक्रम के प्रतीक महाराणा प्रताप एवं मानसिंह के नेतृत्व में मुगल सम्राट अकबर की सेना का ऐतिहासिक युद्ध यहीं हुआ था। हल्दी के रंग से रंगी यहाँ की ऐतिहासिक धरती पर ही प्रताप के स्वामीभक्त घोङे चेतक की समाधि है जिसने अपने प्राणों के आहुति देकर अपने स्वामी के प्राणों की रक्षा की थी।
हल्दीघाटी का युद्ध
हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 ई. को खमनोर एवं बलीचा गांव के मध्य तंग पहाड़ी दर्रे से आरम्भ होकर खमनोर गांव के किनारे बनास नदी के सहारे मोलेला तक कुछ घंटों तक चला था। युद्ध में निर्णायक विजय किसी को भी हासिल नहीं हो सकी थी। इस युद्ध मे महाराणा प्रताप के सहयोगी राणा पूंजा का सहयोग रहा । इसी युद्ध में महाराणा प्रताप के सहयोगी झाला मान, हाकिम खान,ग्वालियर नरेश राम शाह तंवर सहित देश भक्त कई सैनिक देशहित बलिदान हुए। उनका प्रसिद्ध घोड़ा चेतक भी मारा गया था। अब यहां मुख्य रूप से देखने योग्य युद्ध स्थल रक्त तलाई,शाहीबाग,हल्दीघाटी दर्रा,प्रताप गुफा,चेतक समाधी एवं महाराणा प्रताप स्मारक देखने योग्य है। युद्धभूमि रक्त तलाई में शहीदों की स्मृति में बनी हुई है। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित सभी स्थल निःशुल्क दर्शनीय है।
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय व संयुक्त राष्ट्र संघ के विकास कार्यक्रम के तहत ग्रामीण पर्यटन को बढावा देने के लिए देश में पहली बार इंडीजिनस ट्यूरिज्म प्रोजेक्ट के तहत राजसमंद स्थित इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल का चयन किया गया है।