नालंदा विश्वविद्यालय को किसने जलवाया था और क्यों ऐसा किया था

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नालंदा विश्वविद्यालय को किसने जलवाया था और क्यों ऐसा किया था?

Subhash Saini Changed status to publish अगस्त 24, 2020
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नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी ने जलाया था। ऐसा उसने वहाँ के रसायनज्ञ की प्रतिभा पर ईर्ष्यावश किया था। उसने यह शर्त रखी थी कि “मेरा इलाज बिना कोई दवा खिलाये होनी चाहिए”। तब वहाँ के रसायनज्ञ ने एक लेप कुरान के कुछ पृष्ठों पर लगा दिया था। वही पृष्ठ उसे रोज पढ़ने को कहा, जो उसने किया। मुस्लिम लोग थूक लगाकर पृष्ठ पलटते हैं। इस तरह अनजाने में उसने प्रयुक्त रसायन का सेवन कर लिया और ठीक हो गया। खिलजी इस तथ्य से परेशान रहने लगा कि एक भारतीय विद्वान और शिक्षक को उनके हकीमों से ज्यादा ज्ञान था। फिर उसने देश से ज्ञान, बौद्ध धर्म और आयुर्वेद की जड़ों को नष्ट करने का फैसला किया। परिणाम स्वरूप खिलजी ने नालंदा की महान पुस्तकालय में आग लगा दी और लगभग 9 मिलियन पांडुलिपियों को जला दिया था। एक भारतीय की ऐसी प्रतिभा उससे बर्दाश्त नहीं हुई। फलतः ईर्ष्या और द्वेष के कारण उसने विश्वविद्यालय को अग्नि के हवाले कर दिया।

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