सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन कैसे हुआ था

कलिंग युद्ध सच में एक बहुत ही भयंकर युद्ध था जिसमें करोड़ों से भी अधिकतम जाने गई है और इसका परिणाम भी बहुत घातक पूर्ण था और साथ ही साथ सम्राट अशोका ने यह भी यह भी सोचा कि ंबिना कारण के सिर्फ एक राज्य के लिए इतने लोगों को रुलाना परिजनों की सीमा जी क्यों बर्दाश्त करना .
सम्राट अशोका का हृदय परिवर्तन हुआ क्योंकि उन्होंने एक बहुत बड़ा युद्ध जीता था जिसका नाम कलिंग युद्ध था वह युद्ध तो उन्होंने जीत लिया किंतु उसमें बहुत मासूम जाने गई बहुत सी औरतें विधवा हो गई बहुत से बच्चे अनाथ हो गए सब रोने लगे सारी और खून खराबा था और कुछ भी नहीं था इसे देखकर सम्राट अशोका का हद्य बिगड़ गया और उनका हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने यह जंग वांग छोड़कर सन्यास ले लिया .
चक्रवती सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 8वें वर्ष (261 ई. पू.) में कलिंग पर आक्रमण किया था। आन्तरिक अशान्ति से निपटने के लिए के बाद 269 ई. पू. में उनका विधिवत् राज्याभिषेक हुआ। तेरहवें अभिलेख के अनुसार कलिंग के युद्ध में 1 लाख 50 हजार व्यक्तियों को बन्दी बनाकर निर्वासित कर दिए गए। 1 लाख लोगों की हत्या कर दी गई। सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपनी ऑखों से देखा। इससे द्रवित होकर सम्राट अशोक ने शान्ति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार किया। कलिंग युद्ध ने सम्राट अशोक के ह्रदय में महान परिवर्तन कर दिया। उनका ह्रदय मानवता के प्रति और करूणा से उद्वेलित हो गया। उन्होंने युद्ध क्रियाओं को सदा के लिए बन्द कर देने की प्रतिक्षा की। यहाँ से आध्यात्मिक और धम्म विजय युग की शुरूआत हुई। उन्होंने महान बौद्ध धर्म को अपना धर्म स्वीकार किया था।
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