राजस्थान रा लोक देवता हड़बूजी (सांखला)
लोक देवता हङबूजी सांखला रै जलम अर मरण रै बाबत कोई जाणकारी इतिहासकारां कनै कोनी। ना
ही किणी भाट री बही मांय इण बाबत जिकर मिळै। इतरी’क जाणकारी जरूर मिळै है’कै हङबूजी रो असल नांव हरभजन हो अर चावो नांव हर भू हौ जिकौ बिगङर ‘हङबू’ बणग्यौ। अै मेहाजी सांखला रा बेटा हा। आथूणै राजस्थान रै पांच चावा पीरां मांय दो अेङा पीर है जिका मांय बाप-बेटै रौ रिस्तो व्हियो यानि मेहाजी अर हङबूजी। आपरै पिताजी मेहाजी रै देवलोक हुया पाछै हङबूजी दुखी हुयग्या हा अर भूंडेल छोड’र निकळग्या। चालता-चालता फळौदी कनै हरभमजाळ गांव मांय आपरौ डेरौ लगायौ, अठै वांरी भेंट बाबा रामदेवजी सूं हुई। हङबूजी बाबा रामदेवजी री मासी रा बेटा हा अर बाबा रामदेव रा घणा ही नैङा रैवण वाळा संगी हा। बाबा रामदेव हङबूजी रै सारू अेक दूहो कैया करता हा –
हडबू जी सांखला हर दम हाजिर, गांव बांगटी माही।
दूजी देह म्हारी ही जाणों, हां मौसी जाया भाई।।
इण दूहे सूं आ जाणकारी व्है कै हङबूजी ‘बैंगटी’ गांव रा रैवण वाळा अर बाबा रामदेव री उमर रा ही
हा। हङबूजी अर बाबा रामदेव जी हरेक जुध में साथै लङया अर वांरै हरैक कारज में साथ निभायो। इण कारण जनमानस मांय हङबूजी रौ भी बो ही मान है जकौ बाबा रामदेवजी रौ है। लोक धारणा है’कै जिण बगत बाबा रामदेव समाधि लीनी ही, हङबू कठै दूजी जागां गयौङा हा। गांव आया पछै वांनै इण बाबत जाणकारी मिळी कै बाबा रामदेव समाधि ले लीनी है। वां नै भोत दुख हुयौ अर वै उणी बखत रूणीचै रवाना हुयग्या। हङबूजी जिण बखत रूणीचे री ओरण मांय पूग्या उण बखत वांनै रामदेवजी अेक पेङ नीचे खङा मिळ्या। हङबूजी राजी हुया। थोङी’क देर उणां सूं बातां करण रै बाद बाबा रामदेवजी उणां नै
अेक रतन कटोरो अर अेक सोहन चुटियो दीयो अर कैयो कै अे घरां दे दीजौ म्हूं थोङी’क देर में आवूं हूं। अे दोन्यूं चीजां बाबा री समाधि रै मांय उणां रै सागै ही राखीजी ही। अे दोन्यूं चीजां ले’र हङबूजी बाबा रामदेवजी रै घरां पूग्या अर वांनै कैयो कै थे क्यूं दुखी हुय रैया हो बाबा रामदेवजी हाल र्तांइ जीवै है म्हूं अबार इ’ज वां सूं मिळ’र आयो हूं अर ओ कटोरो अर चुटियो उणां इ’ज म्हनै दीयो है। उणी बखत सगळा जणां ओरण कांनी भाग्या पण उण बखत तांई बाबा रामदेव पाछा अन्तरधान हुयगा।
हङबूजी सदाइ बाबा रामदेव री सीख नै आगे बधावण रौ काम करयौ। वांनै बौत बडौ सुगनी,
वचनसिध अर चमत्कारी पुरूस मान्यौ जावै। इणी कारण सूं कालान्तर मांय उणां नै भी लोक देवता रो मान मिल्यौ।
हङबूजी री अेक विसाळ मूरत आज भी मडोर मांय बण्यौङी देवतांवां री साळ मांय लाग्योङी है। इणां रो खास थान बैंगटी गांव में है जठै आज भी लोग दरसण करण सारू जावै अर आपरी मनौती पूरी हुया पछै इण मिंदर मांय थापित ‘हङबूजी री गाडी’ री पूजा करै।
