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लोक देवता रामदेवजी

लोक देवता रामदेवजी

मरुभोम रा ख्यातनाम लोक देवता बाबा रामदेवजी रौ जलम जैसलमेर जिलै रै पोकरण हलके रै गांव रूणीचै मांय तंवर वंसी ठाकर अजमालजी अर माता मैणादे रै घरां भादवा सुदी दूज नै हुयौ। रामदेवजी रै जलम री तिथ बाबत इतिहासकारां में मतभेद है।

कोई उणां रो जलम विक्रमी संवत् 1462 बतावै तो कोई 1465 बतावै। अजमालजी अर उणां री राणी मैणादै किसन भगवान रा भगत हा अर किसनजी री घणी पूजा अराधना कर्या पछै उणां रै दो बेटा हुया – बीरमदेव अर रामदेव। कैवत आ है कै दोन्यू बेटा बलरामजी अर किसनजी रा अवतार हा।

अेकर ठाकर अजमालजी घूमफिर र पाछा महल कानीं आय रैया हा। उणी बगत कैई किसान आपरै काम सारू खेतां कानीं जाय रैया हा पण अजमालजी नै देख र बै किसान पाछा घूमग्या। अजमालजी जद उणांनै पूछ्यौ कै पाछा क्यूं जाय रैया हो। तद बै किसानां कैयो कै महाराज थे निपूता हो अर दिनूगै दिनूगै थांरो मूंडौ देखण रो धरम कोनी। आ बात सुण र अजमालजी नै भोत दुख हुयौ।

उणी बगत बै द्वारका रवाना हुयग्या, भगवान किसनजी रै दरसम सारू। द्वारकाजी पूग र उंतावल में मिंदर में पगरखी पैरयोङा ही घुसम लाग्या। मिंदर रा पुजारी टोका-टोकी करी जद बै भागण लाग्या। जद अजमाल जी पुजारियां नै पकङ र कयो कै म्हनैं तो असली भगवान सूं मिलणो है आ तो भाटे री मूरत है जै आ भगवान हूंती तो म्हारे भाटो मारणे रै बाद कीं न कीं तो करती। पुजारी बापङा डरग्या अर अजमालजी नै कैयो कै भगवान किसनजी तो इण बागत समंदर मांय सोय रैया है।

अजमालजी कीं सोच्यौ न देख्यौ अर समंदर मांय कूदग्या। जद कै प्रभु किरपा कर र उणां नै दरसण दिया तो अजमालजी देख्यो कै प्रभु रै माथै कपङे री पाटी बांध्योङी है। उणां पूछ्यौ भगवान ओ कींकर, तो किसनजी कह्यौ कै थें म्हारी मूरत रै भाटौ मारयौ हो नीं, ओ उणरो फल है। अजमालजी रोवण लाग्या अर गलती री माफी मांगी। पछै कैयो कै प्रभु म्हूं हाल ताईं निपूतों हूं इण कारण लोग म्हारो मूंडो ही नीं देखणो चावै।

जद भगवान किसनजी अजमलजी नै कैयो कै थे चिन्ता ना करो थारै एक बेटो तो राणी मैणादे री कोख सूं पैदा होसी जिकै रो नांव बीरमदेव हुवैला अर म्हें खुद पालणै मांय परगट होवूंला। इमी वचन रै कारण कालान्तर मांय राणी मैणादे री कोख सूं बीरमदेव रो जलम हुयौ अर भादवा सुदी दूज नै रामदेवजी पालणै मांय परगट हुया। अे दोन्यूं भाी बलरामजी अर किसनजी रा अवतार मानीजै।

दोनूं भायां री पढाई गुरु बालकनाथ रै अठै हुयी। गुरुजी कनै बै दोन्यूं इतिहास, धरम, दरसण अर अस्त्र-सस्त्र री सीख लीवी। रामदेवजी योग साधना भी करया करता हा अर बचपन सूं ही ध्यान करण सारू साधना करता हा। बालपणै सूं ही रामदेवजी इण बात सूं भलीभांत परिचित हुयग्या कै पूरौ देस मुसलमान आतताईयां सूं जूझ रैयो है, उणां नै इण बात री भी तकलीफ ही कै तलवार रै जोर माथै मुसलमान लोगां रौ धरम बदली करा र उमा नै मुसलमान बणाय रैया है।

इम रै आलावा रामदेवजी समाज में फैल्यौङी ऊंच-नीच अर भेदभाव री भावना सूं भी चिंतित रैवता हा। आं सब समस्यावां रै निराकरण वास्तै रामदेवजी सोचणो सरु करयौ अर बां सोच्यौ कै सबसूं पैली समाज नै अेक करणो पङसी। इण सारू रामदेवजी उण बगत री नीची जात्यां रै लोगां सूं दोस्ती करणी सरू कर दी, उणां रै घरां जांवता परा। इण काम में हङबूजी अर पाबूजी उणां रौ साथ दीयौ।

इणी बखत रामदेवजी नै खबर मिली कै रूणीचे रै जंगल मांय एक तांत्रिक साधु भैरूं हुया करै जिको आपरी तांत्रिक विद्या रै कारण लोगां नै डरांवतो रैवै अर उणां पर अत्याचार करै। इण कारण लोग आपरा घर – बार छोङ र जावण लाग्या है। रामदेवजी सोच्यो कै म्है रूणीचै रै ठाकर रो बेटो हूं इण कारम म्हारो फरज बणै कै म्हैं लोगों नै इण तांत्रिक भैरूं सूं मुगती दिराऊँ।

आ सोच र बै भैरूं तांत्रिक सूं लङन खातर जंगल पूगग्या। कैई देर ताईं माया जुध चाल्यौ। रामदेवजी नै भी कैई सिद्धयां प्राप्त ही, इण कारण भैरूं माया जुध मांय उणां सूं जीत नीं सक्यौ। फैर भैरूं तलवार उठा ली, पण रामदेवजी उणनै तलवार जुध में भी रहाय दियौ। जद भैरूं भागण लाग्यौ तद रामदेवजी उण नै मार दियौ।

भैरूं री मरण री खबर सुणता ई इलाके रा लोग घणा राजी हुया अर रामदेवजी रो जस एक जोधा अर सिद्धपुरुस रै रूप मांय फैलग्यो।

तांत्रिक भैंरूं री मौत रौ इत्तो असर हुयौ कै इलाके रै आसे-पासे सूं सगला मुसलमान आतताई भागग्या अर पूरे इलाके में सान्ति हुयगी। इण रै बाद रामदेवजी समाज में सोसण अर भेदभाव खतम करण सारू कारज करणो सरू करियौ। बै गांव गांव घूमण लाग्या, अछूत अर नीची जात रै लोगां रै घरां मांय रुकता अर बठैइ ज जीमता।

रात नै भजन कीरतन करवावता। बाद में बे जम्मे रै नांव सूं जगचावा हुया। आं कारजां रै कारण लोग उणां नै बाबा रामदेव कैवण लागग्या। मेघवाल जात री एक कन्या डाली बाई नै बै आपरी बैन बणायी। बाबा रामदेव रै इण कारजां सूं उणां री ख्यात समूचे देस मांय फैलती गयी।

परिणाम ओ निकल्यौ कै समाज मांय सोसण रै खिलाफ आवाज उठण लागी, छोटी जात वालां नै भी पूरौ सम्मान मिलण लाग्यौ। इणी कारण सूं जिका लोग धरम बदल र मुसलमान बणण लाग्या हा वै भी पाछा हिन्दू हुयग्या।

बाबा रामदेवजी रा परचा

बाबा रामदेव रै चमत्कारां नै लोग परचा कैवै। उणां रै परचां रा कैई किस्सा है, पण अठै कुछैक खास-खास ही आपरी निजर करया जाय रैया है-

एकर मुसलमानां रै तीरथ मक्का सूं पांच पीर बाबा रामदेवजी नै परखण सारू रूणीचै आया। रामदेवजी उण बखत जंगल मांय आपरै घोङे नै घास चराय रैया हा। बै पांच पीर उण बखत रामदेवजी नै आपरा कैी करतब दिखाया। बाबा रामदेव उणां नै देखता रैया। पछै रामदेव जी उणां नै जीमण सारू न्यूंतो दीयौ।

जद बै पांच पीर बोल्या कै म्हैं म्हारा बरतण मक्का सूं लावणा भूलग्या। म्हैं म्हारै बरतणा मांय ही जीमां इण कारण आपरै घरां जीम नीं सकां। उणी समै रामदेवजी आपरौ हाथ लाम्बो करयौ अर पीरां रा बरतण उठाय लाया। आ देख र पांचू पीर रामदेवजी रा पग पकङ लिया अर माफी मांगी । जद बै पीर कैयो कै म्हैं तो खाली पीर हां, थे पीरां रा पीर। अे पांचू पीर पाछा मक्का जार र अठै ई बसग्या अर रामसा पीर री सेवा करण लाग्या।

इणी भांत री एक ओर कथावां है। रूणीचै रो एक ब्यौपारी लखी बिणजारौ बोरयां भर र मीसरी बेचण नै जाय रैयौ हो। मारग मांय उणनै रामदेवजी मिलग्या। रामदेवजी पूछ्यौ कै थारी बोरया मांय कांई भरयौङौ है। जद खाली वांनै जवाब दियौ कै बापजी आं मांय सांभर रौ लूण भरयौङो है। लखी झूठ
इण खातर बोल्यो कै टैक्स नीं देवणो पङै। आ बात सुण र रामदेवजी मुलकण लाग्या अर कैयौ कै जैङी थारी मरजी। थोङी क देर बाद लखी बिणजारो जद आपरी बोरयां संभाली तो उणमें मीसरी री जागां लूण ही लूण भरयौङौ देख्यौ। जद उणरी समझ मांय आयौ कै म्हें झूठ बोल्यौ इण खातर मीसरी लूण बणगी। बो दौङतो दौङतो रामदेवजी कनै आयौ अर माफी मांगी। जद रामदेवजी उण नै समझायौ कै आगे सूं झूठ मती बोलजै।

रामदेवजी रो ब्याव अमरकोट रै राजा दलजी ओढा री बेटी नेतलदे रै साहै हुवणो तय हुयौ। नेतलदे नै अेकर लकवो हुयौ जिके सूं वा पांगली हुयगी। ब्याव री बगत चंवरी में जद नेतलदे बैठी तो रामदेवजी रै सागै बैठण सूं ही वां रो पांगलो पण दूर हुयग्यो अर बा आपरै पगां चाल र रामदेवजी सागै फैरा लिया।

ब्याव री बगत ही रामदेवजी आपरी घरवाली नेतलदे री सहेलियां नै परचो दीयौ। ब्याव रै पछै नेतलदे री सहेलियां रामदेवजी नै कंवर कलेवे मांय अेक थाल में कपङो ढांक र मरयोङी बिल्ली पुरस दी। रामदेवजी आपरी दिव्य निजर सूं आ देख ली अर ज्यूंही थाल रो कपङो उठायो वा बिल्ली जींवती हुय र दौङगी अर सगलो महल बिल्लियां सू भरीजग्यौ। दज बै सहेलियां रामदेवजी सूं माफी मांगी।

इणी भांत अमरकोट में रामदेवजी रै ब्याव रूणीचे में उणां री बैन सुगना बाई रै बेटे री मौत हुयगी। सुगना बाई ई बात नै किणनै ई बताई कोनी क्यूं कै घर मांय ब्याव रा मंगल गीत चाल रैया हा पण रामदेवजी आपरी दिव्य नजर सूं आ बात देखली अर ब्याव पाछै रवाना हुवण री उंतावल करी।

रामदेवजी आपरी घरवाली नेतलदे अर दूजा बरातियां सागै दिन उगण सूं पैली रूणीचे पूंगग्या। बीन-बीनणी नै बधावण सारू जद बैन सुगना बारै नीं आई तो रामदेवजी सुगना नै बुलायो अर कारण पूछ्यो पण बा बोली कोनी अर रोवण लागी। रामदेवजी बधावै सूं पैली ही मांयनै गया अर आपरै भाणजे नै हेलौ करता थकां आपरै हाथां सूं उठाय लियो। उणां री दिव्य सगती रै प्रभाव सूं बो टाबर फेरूं जीयग्यौ अर किलकारियां मारण लाग्यो।

बाबा रामदेवजी री समाधि

बाबा रामदेवजी जींवतां थका ई समाधि ले लीनी ही। इण बारै में लोकधारणा है, कै रामसरोवर तलाब री पाल माथै जद बाबा रै समाधि लेवण खातर गुफा खोदी जाय रैयी ही, उणा री धरमबैन अर परम भगत डाली बाई बठै पूंगी अर उणां रामदेवजी नै कैयो कै जठै आ गुफा खुद रैयी है उण जागां मांय सूं आंटी, डोरा, कांगसी इत्याद चीजां निकलेला बठै म्हारी समाधि हुवैला।

चमत्कार री बात आ हुयी कै उण गुफा मांय सूं अे ही चीजां निकली जद रामदेवजी इण नै डाली बाई खातर छोङ दी। इण रै बाद भादवा सुदी दसम विक्रमी 1442 रै दिन डाली बाई उण गुफा मांय समाधि ले लीनी। इम रै एक दिन बाद ही उण रै कनै ई दूजी गुफा खुदवाय नै रामदेवजी भी समाधि ले लीनी।

समाधि लेवण सूं पैली बै आपरी जोङायत राणी नेतलदे, माता-पिता अर भाई समेत सगला लोगां नै उपदेस दीयौ अर वांनै मोह माया ममता छोङ र जींवण रो मारग दिखायौ। रामदेवजी कैयो कै म्हारी समाधि कदैई खोदया मती, थारै कुल मांय हमेसा कोई न कोई म्हारे जिसौ अवतार हुंवतो रैवेला।

इण भांत वरदान देय र भादवा सुदी ग्यारस विक्रमी 1442 रै दिन रामदेवजी समाधि ले लीनी। समाधि लेवण रै बाद आज भी बाबा रामदेवजी आपरै भगतां नै नित परचा देवै।

हिन्दु मुसलमान अेकता रा प्रतीक बाबा रामदेवजी रौ जीवण सदा ई अछूतां अर नीची जात रै उद्धार अर साम्प्रदायिक अेकता नै समरपित रैयो। वै सदा ही दलितां रै विकास खातर काम करता रैया, गऊ माता री सेवा करता, दुरबल री रिक्षा करता अर प्रेम, भाईचारै अर ईमानदारी रौ पाठ पढावतां। इणी कारण सूं बाबा रामदेवजी हिन्दुवां वास्तै देवता हा तो मुसलमान वास्ते पीर हा अर साधु सन्ता वास्तै बाबा हा। इण खातर उणां रो सबसूं चावो नांव है बाबा रामसा पीर।

आज भी रूणीचे मांय माघ अर भादवे महीने मांय हर बरस मेलो भरीजे मांय राजस्थान रा ई नीं पूरे हिन्दुस्तान रा लोग बाबे री जैजैकार करता आवै।

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