आधुनिक भारतइतिहास

परिवहन एवं संचार संसाधन का इतिहास

परिवहन एवं संचार संसाधन (History of Transport and Communication Resources)

पहिये के आविष्कार ने मानव सभ्यता के इतिहास में एक नया अध्याय जोङ दिया तथा भौगोलिक दूरियां तय करना आसान हो गया। 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ में मनुष्य परिवहन के लिये पशुओं द्वारा खींचे जाने वाले वाहन यथा – बैलगाङी, घोङा-गाङी, ऊँट गाङी इत्यादि का प्रयोग करता था। धीरे-धीरे विज्ञान की प्रगति के फलस्वरूप वाष्प इंजन का आविष्कार हुआ और इंजन चालित वाहनों का विकास हुआ, जिसने परिवहन को और अधिक सुविधासम्पन्न और आसान बना दिया।

परिवहन के निम्नलिखित संसाधन थे-

स्थल परिवहन

औद्योगिक उत्पादों एवं यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में स्थल परिवहन साधनों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। पेट्रोल और डीजल से चलने वाले इंजन के आविष्कार से मोटर गाङियों के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई है। यहां तक कि पेट्रोल से चलने वाले दुपहिया वाहनों के उत्पादन में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसके कारण साईकिल का प्रचलन कम हुआ है।

ट्रेक्टर के आविष्कार से गांव शहरों से जुङे हैं। कृषकों को अपनी फसलें आदि गांव से शहर तक लाना आसान हुआ है, जिससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके। वर्तमान में ट्रकों के माध्यम से औद्योगिक उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा रहा है। वाहनों के विकास के साथ-साथ आवागमन और परिवहन को सुविधाजनक तथा पीङा रहित बनाने के लिए उच्च स्तरीय सङकों का निर्माण हुआ है, जिससे आवागमन शीघ्रता से सम्पन्न हो सके। कई राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ है।

रेल परिवहन

रेल परिवहन और परिवहन का दूसरा महत्त्वपूर्ण साधन है। पहले रेल वाष्प इंजन द्वारा चलती थी उसके बाद डीजल इंजन तथा अब विद्युत चालित इंजन के माध्यम से चलती है। भारत में सर्वप्रथम रेल 1853 ई. में मुम्बई से थाणे के बीच चलाई गई थी। यह रेलमार्ग केवल 34 किलोमीटर लंबा था। भारतीय रेल परिवहन का नेटवर्क एशिया का सबसे बङा नेटवर्क है। यह यात्री आवागमन और माल परिवहन का कार्य ही नहीं करता अपितु उद्योग में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

पैलेस ऑन व्हील्स, फैयरी क्वीन जैसी विश्वस्तरीय पर्यटक गाङियों के संचालन का गौरव भारतीय रेल को प्राप्त है। अकाल और महामारी के समय रेल विभाग राहत सामग्री एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महानगरों में यातायात को सुचारू रखने के लिये उपनगरीय रेलगाङियाँ रेल विभाग ने प्रारंभ की हैं।

वर्तमान में रेल यातायात को सुविधासंपन्न करने के लिये कई कार्य किए जा रहे हैं जैसे – मीटर गेज से ब्रॉड गेज में रेल लाइनों का परिवर्तन, टक्कर रोधी यंत्रों तथा रंगीन सिगनल प्रणाली का प्रयोग जिससे रेल यात्रा बेहतर सुरक्षित हो पाई है। निश्चित रूप से भारतीय रेल विभाग यात्रियों की सुरक्षित यात्रा व औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हाल ही वर्ष 2002-2003 ई. में भारतीय रेल ने अपने 150 गौरवशाली वर्ष पूर्ण किए हैं।

जल परिवहन

जल परिवहन सबसे सस्ता परिवहन का माध्यम है। प्रारंभ में नौकाओं के माध्यम से परिवहन होता था लेकिन कालांतर में वाष्प चालित और डीजल चालित इंजनों के आविष्कार से बङे-बङे तीव्रगामी एवं भारवाहक जहाजों का निर्माण हुआ जिससे बहुत अधिक मात्रा में औद्योगिक उत्पाद और यात्रियों को कम लागत पर एक स्थान से दूसरे स्थान लाना, ले जाना संभव हो सका।

जल परिवहन के विकास से समुद्री उद्योग जैसे मत्स्य उद्योग आदि में भी बहुत सहयोग मिला है। रक्षा क्षेत्र में भी भारतीय जल सेना का विशिष्ठ योगदान है। देश में कई अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के बंदरगाह हैं, जहाँ विदेशों से जहाजों के माध्यम से उत्पाद देश में आते हैं तथा भारतीय उत्पाद जहाजों के माध्यम से विदेशों में भेजे जाते हैं, जिससे आर्थिक विकास संभव हो पाया है।

वायु परिवहन

प्रारंभ से ही मनुष्य की अभिलाषा पक्षियों के समान खुले आकाश में उङने की रही है। 1783 ई. में सर्वप्रथम फ्रांस के दो वैज्ञानिकों जोसेफ ओर जैक्स मॉटगोल्फर भाइयों ने एक विशाल गुब्बारे में गर्म हवा भर कर आकाश में उङने का प्रथम सफल प्रयास किया था। लेकिन गुब्बारे से यात्रा करना सुरक्षित नहीं था। इसके बाद तकनीकी विकास हुआ और ग्लाइडर तथा ग्लाइडर के बाद वायुयानों का आविष्कार हुआ।

अमेरिका के राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। आज विज्ञान की प्रगति के फलस्वरूप ध्वनि से भी तेज गति से उङने वाले वायुयानों का निर्माण हो चुका है। वायुयान सेवा आज यात्रियों के आवागमन और औद्योगिक उत्पादों के माल तक ही सीमित नहीं है बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी उसका अपूर्व योगदान है। भारतीय वायुसेना में वायुयान बङी कुशलता के साथ अपनी सेवाएं देकर देश की सुरक्षा, अस्मिता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

वैश्वीकरण के कारण आज सारा विश्व एक दूसरे देश के संपर्क में है जिसके फलस्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और यात्रियों का आवागमन बढा है। परिणामतः राष्ट्रीय वायुसेना के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय वायु सेवाओं का भी विकास हुआ है। इन सेवाओं को संचालित करने के लिये देश में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कई हवाई-अड्डों का निर्माण हुआ है। इस प्रकार वायु सेवाएं राष्ट्र के विकास में अपना अपूर्व योगदान दे रही है।

सूचना प्रौद्योगिकी एवं जन संचार माध्यम

सूचना प्रौद्योगिकी का महत्त्व अनादि काल से चला आ रहा है। सूचना के क्षेत्र में इस नई क्रांति का सूत्रपात 19 वीं शताब्दी में टेलीग्राफ के आविष्कार के साथ हो गया था। विविध सूचनाओं के माध्यम से ही हम अपने जीवन को श्रेष्ठ से श्रेष्ठतर बना सकते हैं। पिछले एक दशक में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जो क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं वे अविस्मरणीय हैं।

रेडियो, टेलीफोन, सेल्युलर फोन, कम्प्यूटर, दूर संचार अपग्रह, टेलीविजन, इंटरनेट, वीडियोफोन आदि ने इस प्रौद्योगिकी को क्रांतिकारी स्वरूप प्रदान किया है। भारत की सबसे बङी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी – भारती समूह है। कम्प्यूटर के आविष्कार ने मनुष्य के लिए संचार को इतना संकुचित कर दिया है कि हम एक छोटे से कम्प्यूटर के पुश बटन को दबा कर संचार के किसी भी कोने से संपर्क कायम कर सकते हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी ने दैनिक जीवन की कार्यप्रणाली से लेकर चिकित्सा, स्वास्थ्य, कृषि, बैंकिंग, बीमा तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्त्व प्रदर्शित किया है।

समाचार पत्र

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा वह समाज में रहकर ही अपना अस्तित्व बनाए रख सकता है। आज विश्व ने एक वृहद समाज का रूप ले लिया है तथा मनुष्य के लिये इस वृहद समाज में होने वाली प्रत्येक घटना से परिचित रहना आवश्यक है। उसकी इस आवश्यकता को समाचार पत्र पूर्ण करते हैं। समाचार पत्र जन संचार का सबसे प्राचीन माध्यम है। सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में समाचार पत्रों का प्रसारण प्रारंभ हुआ था।

आज विश्व के प्रत्येक देश में समाचार पत्र प्रकाशित व प्रसारित होते हैं। एक शिक्षित व्यक्ति के लिये समाचार पत्र पढना उसकी दिनचर्या का अंग बन चुका है। समाचार पत्रों के माध्यम से जन साधारण अति शीघ्र प्रभावित होता है। भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में समाचार पत्रों के माध्यम से जन साधारण अति शीघ्र प्रभावित होता है। भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में समाचार पत्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही थी। समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय भावना जागृत हुई और उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये संघर्ष किया। भारत में ब्रिटिश काल में प्रथम समाचार पत्र बंगाल गजट (अंग्रेजी) 1780 ई. में, जिसके संस्थापक जेम्स आगस्टस हिक्की थे तथा उदंत मार्तण्ड (हिन्दी) 1826 ई. में, जिसके संस्थापक पं. जुगलकिशोर थे, प्रकाशित हुए थे।

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया, यूनिवार्ता, इंडियन न्यूज सर्विस भारत की प्रमुख समाचार एजेंसियां हैं तथा रायटर (ब्रिटेन), यूनाइटेड प्रेस ऑफ अमेरिका, अन्तारा (इंडोनेसिया) प्रमुख विदेशी पं. जुगलकिशोर थे, प्रकाशित हुए थे।

जैसे-जैसे हमारा औद्योगिक विकास होता जा रहा है वैसे-वैसे समाचार पत्रों में भी व्यावसायिकता प्रवेश कर गयी है। आज समाचार पत्रों का मूल उद्देश्य समाज में विचार संप्रेषण न होकर अधिक से अधिक व्यावसायिक विज्ञापन छाप कर आय अर्जित करना है। यदि आज किसी भी समाचार पत्र को उठाकर देखें तो पाएंगे कि समाचार पत्र का लगभग 60 प्रतिशत भाग विज्ञापनों से भरा पङा है। लोकतंत्र में कई बार समाचार पत्र किसी एक विचार धारा से जुङ जाते हैं, जिससे उनकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता हैं। ऐसा होने पर समाज में गलत संदेश जाता है तथा लोगों के मन में मिथ्या धारणाएं उत्पन्न होती है।

रेडियो

रेडियो के आविष्कार के फलस्वरूप संचार के क्षेत्र में क्रांति आ गयी। रेडियो का आविष्कार इटालियन वैज्ञानिक जी.मारकोनी ने किया था। उसने 1901 ई. में सर्वप्रथम संकेतों को बिना किसी तार के अटलांटिक सागर के पार भेजने में सफलता प्राप्त की थी। मारकोनी ने हर्ट्ज और सर जगदीश चंद्र बोस द्वारा विकसित विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रयोग किया गया।

रेडियो के आविष्कार ने विचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाना बहुत आसान और सरल बना दिया। रेडियो के माध्यम से हम विश्व के किसी भी भाग में घटने वाली घटना का हाल तुरंत जान सकते हैं। रेडियो समाचारों के साथ-साथ कई अन्य उपयोगी जानकारियां भी उपलब्ध करवाता है तथा मनोरंजन भी करता है।

रेडियो के प्रचलन ने समाचार पत्रों के प्रसार को प्रभावित किया। रेडियो के माध्यम से संगीत, अन्य मनोरंजक कार्यक्रम जैसे नाटक, वार्ता, संगोष्ठियां आदि तथा किसी भी घटना का आंखों देखा हैल हम घर बैठे आसानी से सुन सकते हैं। इन कार्यक्रमों का प्रसारण किसी भी बङे रेडियो स्टेशन से तरंगों के माध्यम से रेडियो तक होता है।

रेडियो कार्यक्रमके प्रसारण का कार्य सरकारी एवं निजी दोनों क्षेत्रों में है। विश्व के प्रमुख रेडियो कार्यक्रमों के प्रसारण केन्द्र – बी.बी.सी., वॉइस ऑफ अमेरिका, आकाशवाणी हैं। भारत में मुम्बई और कोलकाता में दो निजी स्वायत्तता वाले ट्रांसमीटरों के साथ 1927 ई. में सर्वप्रथम रेडियो द्वारा कार्यक्रमों का प्रसारण हुआ। 1930 ई. में सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने अधिकार में ले लिया और भारतीय प्रसारण सेवा के रूप में संचालित करने लगी।

1936 ई. में इसे ऑल इंडिया रेडियो तथा 1957 ई. में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रख दिया गया। आकाशवाणी ने 1 नवम्बर, 1967 ई. को विज्ञापन प्रसारण सेवा प्रारंभ की। यद्यपि रेडियो मनोरंजन का सबसे सस्ता संचार माध्यम है, परंतु दूसरदर्शन के प्रचार-प्रसार ने इसके महत्त्व को कुछ कम किया है।

सिनेमा

दृश्य श्रव्य संचार माध्यमों में सिनेमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। चलचित्र का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडीसन ने किया था। 20 वीं सदी के आरंभिक दौर में सिनेमा विश्व के विशाल जन समुदाय के मनोरंजन का साधन बन गया। अमेरिका का हॉलीवुड फिल्म निर्माण के क्षेत्र में विश्व का प्रमुख क्षेत्र है।

भारत का मुम्बई नगर फिल्म निर्माण हेतु विख्यात है। इसे बॉलीवुड भी कहा जाता है। प्रारंभ में मूक फिल्में बनाई जाती थी, 1926 ई. से सवाक् फिल्में बनना प्रारंभ हुई। भारत में 1913 ई. में राजा हरिशचंद्र दादा साहब फाल्के के निर्देशन में बनी प्रथम मूक फिल्म थी। इसके बाद जैसे-जैसे इस तकनीक का विकास होता गया, फिल्मों में आवाज भी डाली गयी। भारत में 1931 ई. में प्रथम सवाक् फिल्म आर्देशिर ईरानी के निर्देशन में बनी जिसका शीर्षक आलमआरा था।

सिनेमा के माध्यम से हमारा मनोरंजन तो होता ही है, इसके साथ-साथ ज्ञान वृद्धि भी होती है। सिनेमा का प्रमुख उद्देश्य हमारे जीवन मूल्यों को कायम रखते हुए लोगों तक स्वस्थ मनोरंजन पहुँचाना है। इसके लिये भारत में केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड नामक संस्था कार्यरत है जो फिल्मों के प्रस्तुतिकरण का प्रमाण पत्र देती है। योग्य फिल्म निर्देशकों ने मानवीय संवेदनाओं, पीङाओं, सामाजिक समस्याओं को बङी चातुर्य के साथ पर्दे पर उतार कर आम आदमी तक पहुँचाया है।

चार्ली चैपलिन, अल्फ्रेड हिचकाक, दादा साहब फालके, सत्यजीत राय, रिचर्ड एटनबरो, स्टीवन स्पीलवर्ग आदि प्रमुख निर्माता निर्देशक हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना नाम अमर कर दिया। राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माता, निर्देशक, अभिनेता-अभिनेत्री को भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। भारत का सर्वोच्च फिल्म पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार है। वर्ष 1987-88 ई. में भारतीय सिनेमा के इतिहास ने अपने सफलतम 75 वर्ष पूर्ण किए। सिनेमा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक सद्भाव, मैत्री को बढावा देने वाला सशक्त माध्यम है।

दूरदर्शन

दूरदर्शन दृश्य श्रव्य संचार साधनों में सबसे सशक्त संचार माध्यम है। इसका आविष्कार 1925 ई. में ब्रिटिश वैज्ञानिक जॉन बेयर्ड ने किया था। दूरदर्शन में ध्वनि एवं दृश्य दोनों को एक साथ रेडियो तरंगों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक संप्रेषित किया जाता है। प्रारंभ में दूरदर्शन द्वारा जो कार्यक्रम संचालित किये जाते थे वे श्वेत श्याम थे लेकिन कालांतर में विज्ञान की प्रगति एवं अन्वेषणों से दूरदर्शन के माध्यम से रंगीन कार्यक्रम संचालित होने लगे। आज दूरदर्शन ने विश्व के प्रत्येक देश के लोगों तक अपनी पहुँच स्थापित कर ली है, तथा दूरदर्शन मनुष्य के जीवन का आवश्यक अंग हो गया है।

कृत्रिम उपग्रह द्वारा कार्यक्रमों का संचार होने के बाद तो इस क्षेत्र में उन्नति के नए आयाम स्थापित हुए हैं। केवल एक केबल का तार आपके रोशनदान से आपके टी.वी. तक आता है और संपूर्ण विश्व सिमट कर आपके कक्ष में आ जाता है। हम केबल क्रांति के बाद घर बैठे विश्व के अनेक देशों में होने वाली गतिविधियों से तुरंत साक्षात्कार कर सकते हैं।

भारत में सर्वप्रथम दूरदर्शन द्वारा 1959 ई. में कार्यक्रम प्रसारित किया गया था। 1982 ई. में भारत में एशियाई खेलों का आयोजन हुआ उस दौरान भारत में दूरदर्शन सेवाओं का बहुत अधिक विस्तार हुआ। केबल क्रांति ने तो दूरदर्शन द्वारा प्रसारण सेवा में बहुत अधिक योगदान दिया है। दूरदर्शन जनमत को प्रभावित करने का सक्षम माध्यम है। इसके माध्यम से मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान वृद्धि भी होती है। कई ज्ञानवर्द्धक कार्यक्रम दूरदर्शन द्वारा प्रसारित किए जाते हैं। धीरे-धीरे दूरदर्शन द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों का स्वरूप भी बदलता जा रहा है। चूँकि इनकी आय का प्रमुख साधन विज्ञापन है। अतः एक तरह से दूरदर्शन का व्यवसायीकरण हो गया है।

20 वीं शताब्दी के अंतिम दशक में दूरदर्शन द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों के कुछ नकारात्मक परिणाम सामने आएं हैं, जिसने हमारी संस्कृति द्वारा प्रतिस्थापित नैतिक मूल्यों पर आघात किया है और उनमें गिरावट आई है। दूरदर्शन द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों में अश्लीलता, भौंडापन, हिंसा, चोरी डकैती, बलात्कार जैसी घटनाओं का बाहुल्य रहा है जिसने समाज की युवा पीढी को पथभ्रष्ट किया है।

कम्प्यूटर

कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसका प्रारंभिक प्रयोग सामान्य गणनाओं के लिए किया जाता था। कम्प्यूटर के आविष्कार का श्रेय फ्रांस के वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल को जाता है, जिसने एक ऐसा यंत्र बनाया जो गणना करने में सक्षम था। इस यंत्र को पास्कल कैलकुलेटर नाम दिया गया। धीरे-धीरे इस यंत्र में सुधार होता गया और इसने वर्तमान कम्प्यूटर का रूप ले लिया। वर्तमान में कम्प्यूटर का कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत एवं व्यापक हो गया। पिछले दशक में कम्प्यूटर के माध्यम से संचार के क्षेत्र में जो क्रांति आई है उससे सारा विश्व एक भौगोलिक इकाई बन गया है।

अंतरिक्ष, फिल्म निर्माण, चिकित्सा, यातायात नियंत्रण, उद्योग, व्यापार आदि हर क्षेत्र में कम्प्यूटर ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। कम्प्यूटर का मुख्य कार्य डाटा (आंकङे) स्वीकार करके उसे अपनी स्मृति में सुरक्षित रखना और आवश्यकता पङने पर प्रदर्शित करना तथा उपयोगी बनाने के लिए कई प्रकार की क्रियाएं यथा गणना और तुलना आदि करना है। कम्प्यूटर को मानव मस्तिष्क की संज्ञा दी गयी है तथा वास्तव में कम्प्यूटर ने मानव के मानसिक कार्यों को हल करने में बहुत सहायता की है।

कम्प्यूटर में प्रयुक्त सभी प्रकार के यंत्र जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है, और स्पर्श किया जा सकता है, हार्डवेयर कहलाते हैं, जैसे-

  • निवेश इकाई (Input Unit) की-बोर्ड, माऊस आदि।
  • केन्द्रीय प्रोसेसिंग इकाई (Central Processing Unit)।
  • निर्गम इकाई (Output Unit)।

कम्प्यूटर में प्रयुक्त सभी प्रकार के कार्यक्रम (Programme) जिन्हें हम देख नहीं सकते, सॉफ्टवेयर कहलाते हैं।

संपूर्ण विश्व को एक सूत्र में बांधने का कार्य इन्टरनेट के माध्यम से संभव हो सका है। यह एक ऐसा कम्प्यूटर नेटवर्क है जिसमें विश्व के लाखों कम्प्यूटर एक साथ आपस में संचार तकनीक से जुङे होते हैं। इन्टरनेट से जुङे कम्प्यूटरों के मध्य तेज गति से आंकङों का संप्रेषण कर हम जानकारी दे भी सकते हैं और जानकारी ले भी सकते हैं।

कम्प्यूटर के उपयोग से जहां सकारात्मक सहयोग मिला है, वहीं इसका दुरुपयोग भी हुआ है। अपराधी तत्वों ने अपने तुच्छ स्वार्थों की पूर्ति के लिए इसका उपयोग किया जासे नकली नोट छापना आदि। कुछ असामाजिक लोगों ने इंटरनेट तकनीकी के माध्यम से अश्लील वेब-साइट्स खोल दी जिससे समाज में अनैतिकता बढी। फिर भी कम्प्यूटर ने मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष को प्रभावित किया है तथा मानवीय श्रम की बचत करने के साथ ही कार्यकुशलता में वृद्धि की है।

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