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राजस्थान री लोक देवी आवड़ देवी

राजस्थान री लोक देवी आवड़ देवी

देवी श्री आवङजी नै हिंगळाज माता रौ अवतार मानीजै। इणां रौ अवतार चारण कुळ मांय उम्मटदे रै
नांव सूं हुयौ हौ। चारण कुळ मां चार देवियां रौ अवतार हुयौ जिकै बाबत एक दूहो जग चावो है-

आवड़ तूठी भाटीयां, गीगाई गोड़ांह।
श्री ब्रिवड़ सिसोदियां, करणी राठोड़ांह।।

इण दूह रौ मतलब है’कै चारणां मांय अवतारी आवङजी, गींगाई जी, बरवङजी अर करणीजी राजपूतां री
चार जातियां भाटी, गौङ, सिसोदिया अर राठौङा री कुलदेवी बणी अर वांरै राजकाज रो विस्तार करयौ।


आवङ देवी रा पूर्वज सऊवा साखा रा चारण चेलाजी माङ प्रदेस रै चेलक हके मांय रैंवता हा। चेलाजी
रा वंसज हा मामङियाजी। मामङियाजी देवी हिंगळाज रा परम भगत हा। माङ प्रदेस री राजधानी ही लौद्रपुर अर राजा हा जसभांण परमार। जसभांणजी माङियाजी रो घणो आदर करता हा। जसभांणजी रो नाम हौ’कै जद भी वै पूजा पाठ कर’र बारै निकळै उणां नै सगळां सूं पैली मामङियाजी रौ मूंडौ इ’ज दीखै क्यूं’कै वै दैवीपुत्र हैं।


अेक’र किणी काम सूं मामङियाजी बखत पर नहीं आय सक्या अर वांरी जागां जैनी बांठीयो सेठ आयग्यौ। बीं रौ मूंडौ देख’र जसभांणजी भोत नाराज हुया। जद सेठ कैयो कै म्हूं तो बेटे आळौ हूं फैर बी थे म्हारौ मूंडौ देख’र नाराज हुय रैया हौ, बो मामङियो तो निपूतौ है, बीं रौ मूंडौ तो कोई भी नीं देखणो चावै। आ बात सुण’र मामङियाजी घणा दुखी व्हैया।

वै ओ संकळप करयौ कै सात बार देवी हिंगळाज री पैदळ जातरा करस्यूं। सातवीं जात्रा पछै देवी हिंगळाज वां नै वरदान मांगण रौ कैयौ जद मामङियाजी देवी नै इ’ज आपरै घरां जलम लेवण री अरदास करी। देवी उणां नै वरदान दियौ कै तूं म्हारै अठै सात बार आयौ है इण कारण म्हूं थारै अठै सात छोरियां रै रूप में जलम लेसूं अर साथै अेक भाई भी लेय’र आसूं पण अेक बात ध्यान राखजै कै थारी घरवाळी सदा पवितर रैवै, खाखर रै रूंख रौ पालणौ बणाइजै, उणनै लाल रंग सूं रंग दीजै, घरवाळी नै कहीजै कै दिनूगै उठ’र सिनान कर’र सुध मन सूं म्हारौ सिमरण कर’र पालणै नै सात हींडा देवै अर पालणे नै लाल कपङे सूं ढक देवै।

ओ भी ध्यान कै इण बात रौ परचार नहीं करै। मामङियाजी घरां आय’र आपरी घरवाळी मोहवरती नै सगळी बात बताई। मोहवरती ज्यूं माताजी हिंगळाजजी कैयो उणी भांत सगळा कारज करया। इण तरे विक्रमी संवत 808 री चैत सुदी नौवमी नै श्री उम्मटदे रै रूप आवङजी जलम लियौ।

देवी हिंगळाज रै वचनां रै मुजब आवङजी रै अवतार बाद मां मामङियाजी रै छ कन्यावां भळै व्ही अर आठवों बालक हुयौ। लगोतार बारै बरसां ताई माङ प्रदेस में काळ पङ्यौ जिकै सूं वठै रै लोगां रो जीवणो दूभर हुयग्यौ। जद बै लोगां मामङियाजी नै कैयौ कै जै थे सगळै परिवार अर आवङजी नै सागै लेय’र चालो तो आपां सगळा नानणागढ चालां वठै घणी खुसहाळी है।

नहीं तो म्है भी नीं जावां क्यूं वठै यवनां रो राज है। आवङजी नै उण लोगां माथै दया आयगी अर वै आपरे घरवाळां नै नानणागढ चालण सारू त्यार कर लिया। कैई दिनां री जात्रा पछै अे लोग नानणागढ पूग्या। इण बिचाळै मारग में घणाइ लोग इणा रै सागै हुंवता गया जिका काळ री विभीसिका सूं पीङित हा।

(नानणगढ अबार पाकिस्तान रै भावलपुर सूं उतराधे 20 कोस माथै बस्योङौ है।) नानणगढ पूग’र अे लोग नगर सूं 2 कोस दूर हकङा दरियाव कनै आपरी झोंपङिया बणाई। भगवती आवङजी री किरपा सूं लोग काम धंधा माथै लागग्या अर आणंद सूं रैवण लाग्या। मामङियाजी आपरी छोरयां नै चरखा लाय’र दे दिया अर कैयो कै सूत कातता रैवौ इण सूं बखत भी निकळतो रैसी अर सूत सूं जिकौ कपङो बणसी
उणनै बेच’र आंपां रौ गुजारौ चालतौ रैसी।

नानणगढ रौ बादसाह हो अदनसूमरा अर वठै दीवान हुया करता जैनी कुसलसाह बांठीया। दीवानजी
री अेक कन्या ही कणती। कणती चारणा री झोपङियां कांनी आया करती ही अर आवङजी रा दरसण करती। कणती निरी देर ताईं आवङजी खनै बैठी रैंवती।

देवी सगती सूं चरखां माथै सूत आपौआप कततो रैंवतों अर कणती सागै अे सातूं बैना खेलती रैंवती। चरखा माथै सूत आपौ आप कततो देख’र मामङियाजी अर वांरी घरवाळी नै विस्वास हुग्यौ कै आवङजी देवी रौ इ’ज अवतार है। कणती घणीबार हकङा दरियाव मांय सिनान करण सारू जाया करती ही। अेकर बा आवङजी अर वांरी
बैहना नै आपरै सागै सिनान करण सारू चालण रौ कैयो। मामङियाजी री घरवाळी मना कर दीनौ अर कैयो कै इणां रै बापू इणांनै घर सूं बारै निकळनै रौ मना करयौङो है। कणजी कैयौ कै दरियाव खनै तो जंगळ है कोई मिनख तो वठै हुवै कोनी बो तो निरजण है अेकर चाल’र देख तो लो। बाकी सगळी बैना रौ मन देख’र आवङजी दरियाव जावण सारू त्यार हुग्या।

दरियाव खनै पूग’र वां देख्यौ कै जागां तो सूनी इ’ज है। जद बै सगळी बायां आपरा कपङा बङा रै रूंख नीचे राख’र दरियाव में न्हावण लागगी। उण बखत नानणागढ रै बादसाह अदरसूमरा रै बेटे नू रन रो भायलो लूंचियो नाई वठै इ’ज डोला खाय
रैयो हो, वो इणानै न्हांवतां देख लिया अर वांरा कपङां नै आपरी छङी सूं छुआ दिया। जद सगळी बायां सिनान कर’र दरियाव सूं बारै आयी तो आवङजी आपरी दिव्य निजर सूं सगळी बात रो ध्यान कर’र कैयो कै अठै किणी मिनख रै आवण रा निसाण है अर उण मिनख आं कपङा नै असुध कर दिया है इण कारण अे कपङा अबै पैरण जोग नीं रैया है।

अब जंगळ मांय नूंवा कपङा कींकर आवै? तद आवड ़जी आपरी सगती सूं खुद समेत सगळी बैना नै सांप बणाय दिया अर झोपङी कांनी चाल पङिया। इण बिचाळै लूं चियो नाई महल मांय जाय’र आपरै भायले अर बादसाह रै बेटे नूरन नै सगळी बैना री खूबसूरती रै बाबत बतायौ। नूरन लूचिये नै लेय’र घोङे माथै चढ’र दरियाव कांनी आयौ पण वठै बै बायां नै नहीं देख सक्या क्यूं’कै वै तो सांप बणगी ही। नूरन नै रीस आयी अर वो लूंचिये नै बकण लाग्यौ। लूंचियो नूरन नै
वांरा कपङा दिखाया अर आपरी बात पर जम्यो रैयो। कैई देर ताईं नूरन वठै बालावां नै देखण सारू अडीकतो रैयो। फेर बो उण सात सांपा रै चालण रै निसाणा नै देखतो देखतो मामङियाजी री झोंपङि तांईं आयग्यौ। जद
आवङजी खुद अर वांरी बैना सिंहणी बण’र झोंपङी मांय बैठग्या। नूरन आ देख’र पाछो गयौ परौ अर आपरै बाप अदनसूमरा नै कैयो कै म्हूं मामङियाजी री बायां सूं ब्यांव करसूं। अदनसूमरा बीनै घणौ समझायो पण बो नीं मान्यो।

जद बादसाह मामङियाजी नै बुलाया अर वांनै कैयो कै थारी बालावां रौ ब्यांव म्हारे बेटे सागै कर दै। मामङियाजी कैयो कै थे मुसळमान अर म्है हिन्दू औ ब्यांव कियां हुय सकै। जद बादसाह कैयो कै राजीखुसी करलौ तो ठीक है नहीं जणै म्हैं जबरदस्ती कर लेस्यां। मामङियाजी डरग्या अर आपरै घरां आयग्या। घरै आ’र घरवाळी अर बायां नै बकण लाग्या कै म्हें थानै घर सूं बारै निकळण सारू मना करयौ हो फैर थे बारै गयी।

बादसाह रै बेटे रा आदमी थांनै देख ली है अबै बादसाह जिद कर ली है कै थारौं ब्याव बीरै बेटे सागै कर दूं नहीं तो धमकी दी है। उणां म्हने सात दिनां रौ बखत दियौ है निरणै करण खातर। आ बात सुण’र भगवती आवङजी कैयौ कै माता हिंगळाज आपां रै सागै है उण दुस्ट री इती हिम्मत नीं हुय सकै कै वौ म्हारै सागै ब्याव कर सकै।

म्हूं खुद जा’र बादसाह नै समझाऊंला। इण बिचाळै बादसाह हकङा दरियाव रै नाविकां नै बुलाय’र कैय दियौ कै मामङियाजी अर उणां रैपरिवार वाळा नै दरियाव पार न्हीं कराणो है। इण रै अलावा बादसाह आपरै सिपाइयां नै दरियाव रै किनारै तैनात
कर दिया ताकि कोी दरियाव सूं भाग नहीं सकै।

भगवती आवङजी सेराव भाटी नै सागै लेय’र बादसाह अदनसूमरा रै दरबार मांय गया अर पतसाह नै समझावण री कोसिस करी पण बो न्हीं मान्यौ तद आवङजी जोरदार अट्टहास कर’र कैयो कै अदनसूमरा अबै थारो अंत आयग्यौ है, म्हांरै सागै अन्याव करण रौ मतलब है थारै सगळै कुळ रौ नास। वांरै अट्टहास सूं समूचै भवन धूजण लागग्यौ अर लोगां मांय हाहाकार मचग्यौ। आ बात कैय’र आवङजी सेरावजी भाटी सागै पाछा घरां आयग्या।

घरै आय’र कैयौ कै सिंझ्यानै आपां सगळा आपां रै देस (जैसळमेर) माङ खातर रवानै हुवांला अर कुसलसाह बांठया नै भी कैवाय दो कै बै भी चालणो चावै तो कणती नै लेय’र आपां रै सागै चाल सकै। लोगां नै संका हुयी कै कैई कोस चैङो हकङी दरियाव कीकर पार करांला। सिंझ्या नै आवङजी कुसलसाह री बेटी कणती अर माङ सूं सागै आयोङा सगळा लोगां नै दरियाव रै किनारै माथै भेळा करया अर दरियाव सूं अरदास करी कै म्हैं सगळा जिण मुसीबत में हां अर धरम री रिक्षा खातर पाछा म्हारे देस जावणों चावां इण कारण म्हानै मारग देओ पण दरियाव आपरी मौज मांइ चालतो रैया।

आवङजी आपरै सागै रै लोगां नै कैयो कै आगे रेगिस्तान मिळेला इण खातर आप-आपरा बरतण पाणी सूं भरल्यौ अर बैना नै कैयो कै पेट भर’र पाणी पील्यो आगे पीवण सारू पाणी नहीं मिळेला। फैर इण भांत आवङजी सात चळू मांय सगळौ दरियाव खाली कर दियौ। पछै आवङजी सगळां नै कैयौ कै अबै दरियाव पार कर’र आपां रै देस माङ चालौ। वठै सूं रवाना हुयां पछै 20 कोस आगै जाय’र दिखण दिसा मांय एक बङ रै नीचे विसराम करण सारू रूक्या। आवङजी रौ ओ पैलो चमत्कार हौ जिकौ वां लोगां नै दिखायौ।
दूजै दिन दिनूगै जद नानणागढ रा रैवासी हकङा दरियाव माथै गया तो उण मांय अेक टोपो भी पाणी
नीं देख’र हैरान हुयग्या। बादसाह नै जद आ खबर मिळी तो वो भी डरग्यौ अर समझग्यौ कै आ आवङजी री करामात है। उण बखत बीनै आपरै बेटे नूरन रै मरणे री खबर भी मिळी अर उणरै मूंडे सूं रगत निकळ रैयो हौ। फैर बी बादसाह आपरै सिपाईयां नै आवङजी अर पूरे काफले रौ पीछो करण रौ हुकम दियौ।

बादसाह रा सिपाई जद वांरौ पीछौ करता-करता बाहला नांव माथै पूग्या तो आवङजी वांनै भस्म हुवण रौ सिराप दियौ अर वै सगळा भस्म हुयग्या। इण भांत सूमरा नै नस्ट कर’र देवी आवङजी अर वांरो टोळो आगै रवानै हुय’र र्‘आंइ तो’ नांव री जगां पूग्या तो सागै रै लोगां अर माङ प्रदेस रा लोगां उणा रौ जोरदार मान करयौ। बठै सूं दो कोस दूर काळे डूंगर माथै रैया जिण सूं उण रौ नाम काळ डूंगर मानीज्यौ।

आज बी काळे डूंगर माथै आवङजी रो मिंदर बणयोड़ो है। इण बखत तांई आवङजी री ख्यात दूर दूर तक फैलगी ही जिकै नै सुण सुण’र लोग वांरा दरसण सारू काळै डूंगर आवण लाग्या। लौद्रवपुर रा राजा जसभांण परमार उणां रा दरसण करणनै आया हा। वठै सूं चाल’र आवङजी भोजासर तळाब किनारै आयग्या। उण जगां बी घर्णा इ लोग उणां रै दरसण सारू पूगण लाग्या। अठै आवङजी भोजासरी देवी रै रूप में मानीज्या।

भोजासर सूं रवाना हुय’र आवङजी ‘ऐहप’ नांव री जगां रूक्या। वठै किणी बात नै लेय’र वांरी आपरै भाई महरखेजी सूं बोलचाल हुयगी अर बै वांनै सराप दे दियौ। सराप रै परभाव सूं महरखेजी नै पीवणों सांप काट लियौ अर बै बेहोस हुयग्या। लोक धारणा है कै पीवणै सांप रै काट्यौङै रौ जै अगले दिन सूरज रै निकळनै सूं पैली इलाज नीं हुवै तो बो मर जावै। छोटी बैना अर दूजा घरवाळा आवङजी नै कैयौ कै अबै कांई करां।

जद आवङजी कैयौ कै महैं इमरत लेय’र आऊं जिकै नै पीय’र महरेखजी पाछा जी जावैला। पण जै इमरत लावण नै बखत लागग्यौ तो सूरज भगवान नै ऊगण सूं कुण रोकेला। तद वांरी काकोसा री बेटी लांगदे कैयौ कै म्हूं पताळ लोक सूं इमरत ले आसूं थै सूरजजी नै रोक लिया। लांगदे रै रवाना हुयां पछै आवङजी सूरज भगवान सूं अरदास करी कै म्हारी बैन इमरत लावण नै गयी है जद ताईं वा पाछी नहीं आवै थै उग्या मत।

अरदास सुण’र सूरज भगवान सोलह घंटां तांई रूक्या रैया अर धरती नै आपरी ऐडी सूं रोक्यो राख्यौ ताकि वा घूमन नहीं सकै। सोळह पहर बाद लांगदे इमरत लेय’र आयगी अर पछै महरखेजी नै इमरत पाय’र पाछो जींवतौ करयौ। देगराय सूं 12 कोस उत्तर माथै बोर टीलो नांव री अेक जागां है, जिकी तणोट रै मारग में आवै (आ जागां बाद में भादरिया रै नांव सूं मानीजी अर आवङ देवी भादरिया राय नाम सूं पूजीज्यौ)। उण टीले माथै तणोट रा राजा तणुराव अर उणां री राणी सारंगदे रूक्यौङा हा। वां आवङजी नै सनेसो करायौ कै वै उणां रै दरसण सारू आवणा चावै।

जद आवङजी पाछौ कैवायो कै म्हूं खुद तणोट जावूंला अर मारग में बोर टीळै आय’र वांनै दरसण देवूंला। आवङजी बोर टीले पधारया जद वांरो खूब मान हुयौ। तणोट रा राजा अर वांरा घरवाळा आवङदेवी अर वांरी बैना री पूजा अरचना करी अर आसीस मांगी।

राजा तणुराव बोर टीलै रै आस-पासे रै 24 कोस घेरे मांय देवी री ओरण थारपाई जिकी आज बी मौजूद है। अेक दिन आवङजी तणुराव नै कैयौ कै जठै अबार थै रैय रैया हो वठै अेक किलो बणाओ अर बींरौ नांव तणौट राखो अर वठै इ’ज म्हारो अेक मिंदर बणावौ। म्हूं खुद आय’र किले अर मिंदर री ’परतिष्ठा’ करूंली।

अबार तो म्हूं पाछी माङ प्रदेस जाऊं हूं वठै कैई राक्षस उत्पात मचाय रैया है वांनै मारणा है। श्री तणोट राय दुर्ग अर वांरो मिंदर आज भी सिरधा सूं पूजीजै। हिन्दुस्तान पाकिस्तान री सीमा माथै बणयौङे इण मिंदर री रूखाळी हिन्दुस्तानी फौजी करै। लोक धारण है कै इस्वी सन 1965 रै हिन्दुस्तान पाकिस्तान जुध मांय पाकिस्तानी सेना गोळाबारी कर’र इण मिंदर अर इ जागा पर कब्जौ करण री कोसिस करी, पण माताजी री किरपा सूं अेक भी हिन्दुस्तानी फौजी सहीद नहीं हुयौ जदकै पाकिस्तान रा 400 फौजी मारया गया अर पाकिस्तानी फौज पाछी भाजगी।

भादरिया सूं पाछा आय’र आवङ माता माङ प्रदेश राक्षसा रौ अंत करयौ अर वठै सांति बणाई। पछै
वांनै खबर मिळी कै जैसलमेर सूं सात कोस दखण दिसा मांय गरलाऊवे पहाङ माथै अेक भयंकर राक्षस तेमङे रो आतंक फैल्यौङो है।

आवङजी गरलाऊवो पहाङ कांनी आपरी बैना सागै रवाना हुया। वठै पूग’र तेमङे नै मारयौ अर आपरी बैनां नै कैयौ ‘तेमङो छै’ यानि तेमङो राक्षस मरयौङो पङयौ है। पछै आवङजी उण गुफा न इ आपरौ ठिकाणौ बणाय लियौ। इलाके रै लोगां नै जद ठा पङी कै तेमङो मरग्यौ है तद वै देवी आवङजी री पूजा करण सारू पहाङ माथै पूगण लागा। आवङजी ‘तेमङा राय’ रै नांव सूं मानीजण लागग्या।

आवड़जी रौ महाप्रयाण


आवङजी आपरी मिनख जूण मांय इण धरती पर 191 बरसां र्ताइं रैया अर इण समै उणां कैई चमत्कार
करया। माङ प्रदेस रै दैत्या नै मार’र सांति बणायी, भाटिया राजपूतां रो राज थरपियो, अर आपरै वरदान स्यूं तणुराव रै पोते नै दिगूविजयी राजा बणायौ। विक्रमी संवत 999 मांय माङ प्रदेस रै सिरधाळु भगतां,ब्राह्मणां,बाणियां, चारणा, क्षत्रियां अर दूजा लोगां नै आवङजी तेमङे राव पहाङ माथै बुलायौ अर वांनै आसीस देय’र कैयौ कै अबै म्हारै पाछौ जावण रो बखत आयग्यौ है।

भगत लोग घणौ इ मिन्नत करि पण वै नहीं मान्या अर विक्रमी संवत 999 रै माघ सुदी सातम नै तेमङे राय पहाङ माथै आवङजी अर वांरी बैना तारंग सिला माथै बैठ’र माता हिंगळाज रौ ध्यान करता-करता अलोप हुयग्या। इण बाबत अेक दूहो जग चावो है –

नव सौ ननाणवें गुण गावे चारण गोप ।
माहा सुदी सातम तिथरी, आवड़ हुई अलोप ।।

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