इतिहासमध्यकालीन भारत

कश्मीर का राजवंश का इतिहास

कश्मीर का राजवंश – 8 वीं शताब्दी के मध्य काल में (724-760ई.) कश्मीर में ललितादित्य मुक्तपीङ का शासन था। उसके नाम से यह संकेत मिलता है कि वह कोर्कोट वंश के जनजातीय परिवेश में उत्पन्न हुआ था। ललितादित्य के समय कश्मीर की पर्याप्त राजनीतिक तथा सांस्कृतिक प्रगति हुई। उसने एक ओर तो कन्नौज के यशोवर्मन को हराया और दूसरी ओर काबुल तक विजय प्राप्त करते हुए अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया। उसने बुद्धिमानी के साथ विदेशों से राजनीतिक संबंध स्थापित किए और चीन राज्य में अपना राजदूत भी भेजा। धार्मिक दृष्टि से पर्याप्त उदार होने के कारण उसने बौद्ध विहार तथा हिंदू मंदिर निर्मित कराए, जिनमें उसके द्वारा निर्मित मार्तंड (सूर्य) मंदिर बहुत प्रसिद्ध हुआ। ललितादित्य के दो लङके थे – कुवलयापीड तथा विज्रादित्य बप्पियक जन्होंने क्रमशः अल्पकाल तक शासन किया। संभवतः सिंध के अरब हाकिम हिशाम इब्न अम्र अततागालेबि ने वज्रादित्य के काल में कश्मीर पर आक्रमण किया था और वह यहाँ से अनेक बंदी तथा दास पकङकर ले गया था। उसके बाद जयापीड विनयादित्य (770-810ई.) नामक महत्त्वपूर्ण शासक हुआ। उसने बंगाल, कन्नौज, मध्यदेश तथा संभवतः नेपाल पर लगातार सैनिक अभियान करके अपनी शक्ति का बङा विस्तार किया। यह राजा विद्वानों का बङा आदर करता था, तभी तो उसकी सभा को क्षीर, भट्ट, उद्भट्ट, दामोदर गुप्त आदि विद्वान लेखक सुशोभित करते थे। उसने अपने राज्यकाल में साहित्य तथा कला को यथेष्ट प्रोत्साहन दिया। वह प्रसिद्ध निर्माता भी था। दुर्भाग्य की बात यह है कि उसके बाद उसके वंश में निर्बल शासक हुए और वंश का पतन प्रारंभ हो गया।

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