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अजंता के चित्रों में गुफा संख्या 16 के चित्र

गुप्तयुग में चित्रकला अपनी पूर्णता को प्राप्त हो चुकी थी। गुप्तकाल के पूर्व चित्रकला के उदाहरण बहुत कम मिलते हैं। प्रारंभिक चित्र प्रागैतिहासिक युग की पर्वत गुफाओं की दीवारों पर प्राप्त होते हैं। कुछ गुहा-मंदिरों की दीवारों पर भी चित्रकारियाँ मिलती हैं। अजंता के गुफाचित्र बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। इनमें बुद्ध तथा बोधिसत्वों का चित्रण मिलता है। बुद्ध के जीवन की विविध घटनाओं तथा जातक कथाओं के दृश्यों का अंकन बहुतायत से किया गया है।

गुप्तकाल तक आते-2 चित्रकारों ने अपनी कला को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। इस युग की चित्रकला के इतिहास के प्रसिद्ध उदाहरण आधुनिक महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले में स्थित अजंता नामक स्थान पर स्थित है।

यहाँ चट्टान को काटकर उन्तीस गुफायें बनायी गयी थी। इनमें चार चैत्यगृह तथा शेष विहार गुफायें थी। इन गुफाओं पर चित्रकारी की गई है। इन गुफाओं में गुफा संख्या 16 का विवरण निम्नलिखित है-

इसकी चित्रकारी 500 ई. से प्रारंभ होती है। यह गुफा सत्रहवी गुफा के कुछ पूर्व की है। अजंता की 16 वी. गुफा के चित्रों में मरणासन्न राजकुमारी नामक चित्र सर्वाधिक सुंदर एवं आकर्षक है। यह पति के विरह में मरती हुई राजकुमारी का चित्र है। उसके चारों ओर उसके परिवारजन शोकाकुल अवस्था में खङे हैं। एक सेविका उसे सहारा देकर ऊपर उठाये हुए है तथा दूसरी पंखा हाल रही है। एक स्री अत्यंत आतुर होकर राजकुमारी का हाथ अपने हाथ में पकङे हुये है। दूसरी ओर दो सेविकायें हाथ में कलश लिये खङी हैं। राजकुमारी का सिर गिर रहा है, आँखे बंद हैं तथा शरीर का अंग-प्रत्यंग पीङा से कराह रहा है। समीप खङे परिजनों के मुखमंडल पर दु ख का भाव अंकित है।

सोलहवीं गुफा के एक चित्र में बुद्ध का महाभिनिष्क्रमण का चित्रांकन है, जिसमें वे अपनी पत्नी, पुत्र तथा परिचायिकाओं को छोङकर जाते हुये दिखाये गये हैं। उनकी वैराग्य भावना दर्शनीय है। कुछ चित्र बुद्ध के जीवन से संबंधित हैं, जिनमें सुजाता का खीर अर्पण, माया का स्वप्न दर्शन आदि का अंकन कुशलतापूर्वक किया गया है। बायीं दीवार पर उन चार घटनाओं का अंकन है, जिन्हें देखकर बुद्ध के मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ था।

बुद्ध का जीवन परिचय और उपदेश।

बुद्ध जन्म तथा उनके सात पग चलने की कथा को कमल के सात फूलों के प्रतीक के माध्यम से चित्रित किया गया है। बुद्ध की पाठशाला का भी एक दृश्यांकन है, जिसमें क्रीङारत बालकों को दिखाया गया है।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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