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म्यूनिख समझौता क्या था

म्यूनिख समझौता क्या था

म्यूनिख समझौता – 24 सितंबर को चेक सरकार ने हिटलर की माँगों को “सर्वथा और बिना शर्त अस्वीकार्य” कहकर ठुकरा दिया। इंग्लैण्ड और फ्रांस ने भी हिटलर की माँगों को अनुचित बतलाया।

चेम्बरलेन तथा अन्य नेताओं ने मुसोलिनी से अनुरोध किया कि वह हिटलर को शक्ति के उपयोग से रोकने के लिये अपने प्रभाव का सद् उपयोग करे।मुसोलिनी ने फोन पर हिटलर से बातचीत की और हिटलर ने इस प्रश्न पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने की बात को स्वीकार कर लिया।

उसने मुसोलिनी, चेम्बरलेन और दिलादिये (फ्रेंच विदेशमंत्री) को 29 सितंबर को म्यूनिख आने का निमंत्रण दिया।

म्यूनिख समझौता

निश्चित दिन पर हिटलर उन तीनों से म्यूनिख स्थान पर मिला और एक समझौता हो गया जो हिटलर की माँगों का ही दूसरा रूप था।

यह ध्यान देने की बात है कि इस संबंध में न तो चेकोस्लोवाकिया को और न उसके हिमायती रूस को ही बुलाया गया था। विवश चेक सरकार के सामने म्यूनिख समझौते को स्वीकार करने के अलावा और कोई मार्ग नहीं था।

म्यूनिख समझौते की शर्तें इस प्रकार थी

म्यूनिख समझौता
  • चेक सरकार सूडेटन प्रदेश को खाली कर देगी और यह काम 10 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। चेक सरकार इस क्षेत्र की किलेबंदी को नष्ट नहीं कहेगी।
  • सूडेटन प्रदेश को खाली करने की शर्तों का निर्धारण एक अन्तर्राष्ट्रीय आयोग करेगी जिसमें जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और चेकोस्लोवाकिया का एक-एक प्रतिनिधि होगा।
  • जनमत संग्रह किन प्रदेशों में किया जाय, इसका निर्णय 5 सदस्यों का उपर्युक्त अन्तर्राष्ट्रीय आयोग करेगी। जनमत संग्रह की तिथि भी आयोग निर्धारित करेगा परंतु वह नवम्बर के अंत तक ही होनी चाहिए।
  • सीमाओं का अंतिम निर्धारण भी अन्तर्राष्ट्रीय आयोग करेगा।
  • जनता को 6 महीने तक दिए गए प्रदेशों को छोङने या उनमें बसने की स्वतंत्रता होगी। जनसंख्या की इस अदला-बदली का काम जर्मन-चेकोस्लोवाकिया आयोग करेगा।
  • चेक सरकार 4 सप्ताह के भीतर-भीतर जर्मन राजनीतिक बंदियों को रिहा कर देगी।
  • ब्रिटेन और फ्रांस ने चेकोस्लोवाकिया को नए सीमान्तों की सुरक्षा की गारण्टी दी।

म्यूनिख समझौते के परिणाम

1 अक्टूबर, 1938 को प्रातःकाल जर्मन सैनिकों ने सूडेटन प्रदेश पर अधिकार कर लिया। इसी अवसर पर चेकोस्लोवाकिया को तेसचेन के आस-पास का लगभग 400 वर्ग मील का क्षेत्र पोलैण्ड को सौंपना पङा, क्योंकि पोल सेनाएँ इस क्षेत्र की सीमा तक बढ आई थी।

हंगरी ने भी मगयार आबादी वाले क्षेत्र का दावा किया और 2 नवम्बर को 48,00 वर्ग मील का क्षेत्र हंगरी को सौंपना पङा। इस प्रकार चेकोस्लोवाकिया का अंग-भंग हो गया।

म्यूनिख समझौते का यूरोप की अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पङा। इसने मोटे तौर पर फ्रांस द्वारा निर्मित महाद्वीपीय सुरक्षा-पंक्ति को नष्ट कर दिया। पोलैण्ड, रूमानिया और यूगोस्लाविया, जिनके साथ फ्रांस दीर्घ समय से यथास्थिति को बनाए रखने के लिये प्रतिज्ञाबद्ध था, सामान्य रूप से सामूहिक सुरक्षा और विशेषकर फ्रेंच दायित्व के पश्न पर संदिग्ध हो उठे।

मास्को से अफवाहें आती रही कि सोवियत सरकार फ्रांस के साथ संबंध विच्छेद करने वाली है। यह बात ठीक भी थी।

म्यूनिख समझौते से रूस को विश्वास हो गया कि इंग्लैण्ड और फ्रांस ने जान-बूझकर हिटलर को संतुष्ट करने का प्रयत्न किया है ताकि वह पूर्व की तरफ प्रसार की नीति को लागू कर सके और सोवियत रूस से उलझ जाय।

वास्तव में यह समझौता तुष्टिकरण की नीति का चरमोत्कर्ष था और सामूहिक सुरक्षा प्रणाली के अवसान का प्रतीक था। इससे इंग्लैण्ड और फ्रांस की कायरतापूर्ण नीति का पर्दाफाश हो गया।

चेकोस्लोवाकिया के लिये यह समझौता ने केवल फाँसी का हुक्म था, अपितु एक भयंकर विश्वासघात था। फिर भी, म्यूनिख से लौटकर चेम्बरलेन ने कहा था कि मैं “सम्मान सहित शांति” लेकर आया हूँ। इस पर विस्टन चर्चिल ने कहा था कि युद्ध एवं अपमान में से एक को चुनना था।

आपने अपमान को चुना है अब शीघ्र ही युद्ध करना पङेगा। वस्तुतः म्यूनिख समझौता हिटलर के कूटनीतिक जीवन की सबसे बङी विजय और चेम्बरलेन की सबसे बङी पराजय थी।

चेकोस्लोवाकिया का अंत

म्यूनिख समझौते के समय हिटलर ने यह विश्वास दिलाया था कि सूडेटन प्रदेश के बाद यूरोप में उसकी कोई प्रादेशिक महत्त्वाकांक्षा नहीं है। परंतु यह विश्वास भी पहले की भाँति दिखावा मात्र था। उसका ध्यान संपूर्ण चेकोस्लोवाकिया को हङपने की तरफ लगा हुआ था।

बोहेमिया और मोरेविया के हवाई अड्डों की प्राप्ति, चेक सेना के अस्र-शस्रों को प्राप्त करने की अभिलाषा, चेक विदेशी स्वर्ण और मुद्रा का प्रलोभन, कृषि-भूमि और मानवीय शक्ति को प्राप्त करने तथा सामरिक दृष्टि से जर्मनी को सुदृढ बनाने की इच्छा से हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया का अंत करने का निश्चय कर लिया था।

सर्वप्रथम उसने चेकोस्लोवाकिया प्रान्त के नाजी जर्मनों को चेक सरकार से पृथक एवं स्वतंत्र होने के लिये उकसाया।

फलस्वरूप 14 मार्च, 1939 को स्लोवाकिया की स्वतंत्रता स्वीकार कर ली गयी। परंतु हिटलर की तृष्णा का अंत नहीं हुआ। उसने चेक राष्ट्रपति हच्चा को बर्लिन बुलाया और उसे डरा-धमका कर चेक शासन की बागडोर जर्मन नाजीदल को सौंपने के लिये विवश किया।

15 मार्च, 1939 को जर्मन सेनाओं ने चेकोस्लोवाकिया में प्रवेश किया और संपूर्ण देश को अपने अधिकार में ले लिया। हिटलर के इस कदम ने इंग्लैण्ड और फ्रांस के भ्रम को दूर कर दिया। मुसोलिनी भी काफी क्रोधित हो उठा परंतु अब हिटलर का साथ छोङने का समय नहीं था।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References
wikipedia :म्यूनिख का समझौता

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