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औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात इंग्लैण्ड से ही क्यों हुआ(1760 – 1840)

औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात इंग्लैण्ड

प्रायः यह प्रश्न पूछा जाता है, कि औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात इंग्लैण्ड से ही क्यों हुआ ? किसी अन्य देश में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात क्यों नहीं हुआ ? इस संबंध में यह ध्यान रखना चाहिये कि किसी भी देश में औद्योगिक क्रांति के लिये मुख्य रूप से पाँच बातें महत्त्वपूर्ण होती हैं –

  • प्राकृतिक साधन
  • पूँजी एवं कुशलता
  • विस्तृत बाजार
  • औद्योगिक प्रभुत्व
  • राजनैतिक शांति और सामाजिक सहयोग
औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात

इंग्लैण्ड में इन पाँचों बातों के साथ-साथ वहां के लोगों में वाणिज्यवादी दृष्टिकोण, आविष्कारों के प्रति रुचि और समृद्धि के लिये लगन मौजूद थी।अतः यहाँ पर औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ।

औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात इंग्लैण्ड में प्रारंभ होने के कारण

औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात : प्राकृतिक साधन

प्राकृतिक कारणों में इंग्लैण्ड की भौगोलिक स्थिति काफी महत्त्वपूर्ण है। अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण एक तरफ तो वह शेष संसार से पृथक है और दूसरी तरफ संसार के निकट संपर्क में भी है। इंग्लैण्ड चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है, इसलिए वह बाह्य आक्रमणों से काफी सुरक्षित है।

संसार के प्रमुख व्यापारिक मार्गों पर स्थित होने से उसे विदेशी व्यापार में आशातीत सफलता मिली।इंग्लैण्ड की समशीतोषण जलवायु तथा स्वास्थ्यप्रद वातावरण ने यहाँ के लोगों को कठिन परिश्रम तथा बौद्धिक विकास के लिये प्रोत्साहित किया।

इंग्लैण्ड का समुद्र तट न केवल 7000 मील लंबा है, अपितु इतना कटा-फटा है, कि सुरक्षित खाङियाँ तथा उत्तम बंदरगाहों का अपने आप निर्माण हो गया।

गल्फ-स्ट्रीम की गर्म सामुद्रिक धारा के कारण इंग्लैण्ड का पूर्वी किनारा हमेशा व्यापार के लिये खुला रहता है। प्रकृति की कृपा से इंग्लैण्ड में कोयला, लोहा तथा जल शक्ति के स्त्रोत प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।

लोहा और कोयला के साथ-साथ और पास-पास मिलने से लोहे एवं इस्पात उद्योग के विकास में महत्त्वपूर्ण सहयोग मिला। कच्चे माल की पूर्ति के लिये इंग्लैण्ड के पास उपनिवेशों की कमी न थी। इससे स्पष्ट है, कि इंग्लैण्ड की भौगोलिक स्थिति तथा प्राकृतिक परिस्थितियों ने औद्योगिक क्रांति को आहूत करने में पर्याप्त सहयोग प्रदान किया।

औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात : आर्थिक कारण

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति से पूर्व औद्योगिक विकास के लिये आवश्यक पृष्ठभूमि का निर्माण हो चुका था। लोहा, ऊन और जहाज-निर्माण उद्योग विकसित अवस्था में थे। विदेशी व्यापार से अधिक मुनाफा कमाने की दृष्टि से संयुक्त पूँजीवादी कंपनियों तथा बैंकिंग-व्यवसाय का भी विकास हो चुका था। इंग्लैण्ड के लोगों में नए आविष्कारों के प्रति भी रुचि थी।

चूँकि इंग्लैण्ड में श्रमिकों का अभाव था, अतः बढती हुई माँग को पूरा करने के लिये अधिकाधिक यंत्रों और मशीनों के प्रयोग तथा नए-नए आविष्कारों को प्रोत्साहन मिला।

औद्योगिक विकास के लिये पर्याप्त पूँजी होना आवश्यक होता है। सोलहवीं सदी के शुरू से ही इंग्लैण्ड के लोग सामुद्रिक लूटमार, दास-व्यापार तथा विदेशी व्यापार वाणिज्य से काफी धनी बनते जा रहे थे और कारखानों में धन लगाने वाले लोगों की कमी न थी।

बैंक ऑफ इंग्लैण्ड के नेतृत्व से इंग्लैण्ड की बैकिंग व्यवस्था ने भी पूँजी संचय और विनियोग को संभव बनाया। वैज्ञानिक आविष्कारों ने औद्योगिक क्रांति को सफल बनाने में विशेष भूमिका अदा की है।

1760 ई. तक इंग्लैण्ड के विदेशी व्यापार का क्षेत्र काफी विस्तृत हो चुका था। कच्चा माल देने के लिये बहुत से उपनिवेश थे और इंग्लैण्ड का आंतरिक व्यापार भी बढता जा रहा था।

इंग्लैण्ड की सामुद्रिक शक्ति भी अजेय थी। उसके व्यापारियों को विश्वास था, कि इस शक्ति द्वारा उनके व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा की जा सके।

इसके साथ-साथ सङकों, नहरों तथा नदियों में जल यातायात का विकास होने से न केवल आंतरिक व्यापार में वृद्धि हुई बल्कि श्रमिकों की गतिशीलता में वृद्धि और कारखानों में निर्मित माल को समुद्र तट तक भिजवाने और वहाँ से विदेशों से आए कच्चे माल को कारखानों तक पहुँचाने में भी सुविधा हो गयी।

इंग्लैण्ड में श्रमिकों की कमी थी, परंतु कुशल एवं योग्य श्रमिकों ने इस कमी को पूरा करने में काफी सहयोग दिया। यूरोप के अधिकांस देशों में आंतरिक शांति का अभाव था। इसलिये वहाँ के बहुत से कुशल एवं अनुभवी श्रमिक भागकर इंग्लैण्ड में आ गये। इससे इंग्लैण्ड को लाभ भी हुआ।

इंग्लैण्ड के लोगों में विस्तृत व्यापार के संगठन की दक्षता एवं बङे पैमाने पर उत्पादन की कुशलता भी थी और इसी कारण वे समस्त संसार के साथ व्यापारिक संपर्क करने में समर्थ रहे। उनकी इस कुशलता ने औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

कुछ विद्वानों के अनुसार प्लासी के युद्ध के बाद भारतीय पूँजी बङी मात्रा में इंग्लैण्ड में भेजी गयी। ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारियों तथा अधिकारियों द्वारा बंगाल से अत्यधिक धन लूटकर इंग्लैण्ड में उद्योग धंधों के विकास में लगाया गया। इससे औद्योगिक विकास की गति बढ गई।

औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात : राजनैतिक कारण

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के समय राजनैतिक स्थायित्व, शांति एवं व्यवस्था ने भी औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान दिाय। 1688 की महान क्रांति के बाद जिन सुदृढ सिद्धांतों पर इंग्लैण्ड के संविधान को आधारित किया गया, उससे आंतरिक शांति बनी रही।

वालपोल की कुशल नीति ने इंग्लैण्ड के राजनैतिक तथा वित्तीय स्थायित्व को और भी अधिक बल प्रदान किया। इन दिनों जबकि यूरोप के अन्य देश गृह युद्धों तथा बाह्य आक्रमणों से आतंकित रहे, इंग्लैण्ड में घरेलू शांति तथा व्यवस्था कायम रही, जिससे व्यापार तथा उद्योगों का विकास संभव हो पाया।

एक बात यह भी थी, कि जहाँ यूरोप के अन्य देशों में कृषक दास प्रथा प्रचलित थी, वहीं इंग्लैण्ड के लोगों को इस घृणित प्रथा से बहुत पहले ही मुक्ति मिल चुकी थी। कृषक दास भूमि से बंधा रहता था और इसलिये वह कारखानों आदि में काम नहीं कर पाता था। इंग्लैण्ड के लोगों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता मिल चुकी थी और वे अपनी इच्छानुसार कार्य कर सकते थे। इससे व्यक्तिगत साहस को बढावा मिला। तथा औद्योगिक क्रांति की सफलता संभव हो गई।

औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात : उदार सामाजिक एवं धार्मिक वातावरण

औद्योगिक क्रांति के समय इंग्लैण्ड का सामाजिक तथा धार्मिक वातावरण भी औद्योगिक विकास के अनुकूल था। मध्य युग की जङता और कट्टरता समाप्त हो चुकी थी। लोगों में शिक्षा का प्रसार हो चुका था और वहाँ के लोग आर्थिक समृद्धि के लिये विकासशील दृष्टिकोण अपना चुके थे। इंग्लैण्ड के लोगों में नए आविष्कारों तथा नई उत्पादन पद्धतियों को अपनाने में विशेष रुचि थी और वे वैज्ञानिकों तथा आविष्कारकर्त्ताओं को सक्रिय सहयोग देते थे। इस प्रकार के जन सहयोग से भी औद्योगिक क्रांति को सफलता मिली।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References
https://en.wikipedia.org/wiki/Industrial_Revolution

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