इतिहासऔद्योगिक क्रांतिविश्व का इतिहास

औद्योगिक क्रांति का अर्थ तथा काल

औद्योगिक क्रांति का अर्थ तथा काल

1750 ई. के आस-पास शक्तिचालित मशीनों का निर्माण शुरू हो गया, जिनके द्वारा पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन आ गया। अब हाथ का श्रम गौण हो गया। घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ने ले लिया, जहाँ बहुत बङी मात्रा में उत्पादन होने लगा।

हजारों किसानों ने अपने खेतों को छोङकर कारखानों में काम करना शुरू कर दिया। सार्वजनिक जीवन और शासन व्यवस्था में भी परिवर्तन आ गया। इन सभी परिवर्तनों का आधारभूत कारण औद्योगिक क्रांति(industrial revolution) था।

विश्व के आर्थिक इतिहास में क्रांति शब्द का विशेष महत्त्व है। सामान्यतया यह शब्द रक्त-रंजित या विप्लव अथवा हिंसात्मक विस्फोट का संकेत देता है, जिससे राजनैतिक या सामाजिक क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन हो जाता है, जैसाकि 1789 ई. में फ्रांस की क्रांति तथा 1917 ई. में रूस की क्रांति में हुआ।

परंतु चूँकि आर्थिक परिवर्तन की प्रक्रिया प्रायः धीमी होती है, अतः उसमें रातों-रात परिवर्तन संभव नहीं होता। 18 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्षेत्र में जो मौलिक तथा महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उनसे उत्पादन की पद्धतियों, मात्रा तथा संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन हो गए और आर्थिक जगत में नए युग का सूत्रपात हुआ। इसीलिए इन परिवर्तनों को क्रांति की संज्ञा दी गयी है।

इतिहासकार डेविस का मत है, कि औद्योगिक क्रांति का मतलब उन परिवर्तनों से है, जिन्होंने यह संभव कर दिया कि मनुष्य उत्पादन के उपायों को छोङकर बङी मात्रा में बङे कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन कर सके।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं, कि औद्योगिक क्रांति उद्योगों और उपज संबंधी वह क्रांति है, जिसने श्रम का सामूहिक रूप से उपयोग किया, परंतु उसका लाभ श्रम करने वालों को नहीं अपितु पूँजी लगाने वाले चंद लोगों को ही मिला।

प्रोफेसर ए.बिर्नी ने उपर्युक्त परिवर्तनों के संदर्भ में लिखा है, कि इसके अन्तर्गत परिवर्तन इतने गहरे एवं व्यापक थे, गुण एवं दोषों के अनोखे सम्मिश्रण में इतने दुःखदायी तथा भौतिक उत्थान और सामाजिक त्राण के संयोग में इतने नाटकीय थे, कि उन्हें क्रांतिकारी कहना ही उचित है।

वस्तुतः इन परिवर्तनों के लिये औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अर्नाल्ड टायनबी ने किया था। इस संबंध में श्रीमती एल.सी.ए.नोवेल्स ने लिखा है कि, औद्योगिक क्रांति का प्रयोग इसलिये नहीं किया जाता कि परिवर्तन की प्रक्रिया तीव्र थी, वरन् इसलिये कि पूर्ण होने पर ये परिवर्तन पूर्णतया मौलिक थे।

इतिहास के एक अन्य विद्वान साउथगेट ने लिखा है, कि 18 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तथा 19 वीं शताब्दी में ब्रिटिश उद्योगों को ऐसे महत्त्वपूर्ण तथा व्यापक क्रांति कहा जाने लगा। इस प्रकार, यह स्पष्ट हो जाता है, कि औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन पद्धति, संगठन तथा प्रबंध में जो मौलिक परिवर्तन हुए उन्हें सामूहिक रूप से औद्योगिक क्रांति कहा जाता था।

औद्योगिक क्रांति का काल

औद्योगिक क्रांति कोई आकस्मिक घटना नहीं थी, अपितु विकास की एक निरंतर क्रिया है, जो आज भी जारी है। इसके अभ्युदय में अनेक तत्वों और परिस्थितियों का सहयोग रहा। इतिहासकारों में औद्योगिक क्रांति के काल के संबंध में मतभेद है। प्रोफेसर हेफ इसका काल 1550 से 1890 बताते हैं, जबकि अर्नाल्ड टायनबी इसका काल 1760 -70 से 1830-40 निर्धारित करते हैं।

श्रीमती नोवेल्स 1770 से 1914 बताती हैं।अनेक अर्थशास्त्री इसका काल 1760 से 1914 स्वीकार करते हैं और इसे दो भागों में विभाजित करते हैं। उनके अनुसार 1760 से 1830 तक के समय को इसका प्रथम चरण मानना चाहिये, जिसमें विभिन्न प्रकार के आविष्कार तथा कारखाना पद्धति का विकास हुआ और उत्पादन में वृद्धि, विविधता, जटिलता और यातायात तथा व्यापारिक क्षेत्र में क्रांतिकारी विकास हुआ।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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