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प्लासी का युद्ध कब हुआ

प्लासी का युद्ध कब हुआ

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प्लासी का युद्ध –

मीरजाफर को सिराज के बाद अगला बंगाल का नवाब प्रस्तावित कर अंग्रेज प्लासी के युद्ध की तैयारी में जुट गये।

प्लासी के युद्ध की गणना भारत के निर्णायक युद्धों में की जाती है।वर्तमान में प्लासी नदीया जिले में गंगा नदी के किनारे स्थित है।

प्लासी का युद्ध

प्लासी के युद्ध मे अंग्रेजी सेना ने ( 1100 यूरोपीय,200सिपाही तथा बंदूकची ) क्लाइव के नेतृत्व में हिस्सा लिया। दूसरी ओर 4500 सैनिकों वाली नवाब की सेना का नेतृत्व तीन राजद्रोही मीरजाफर,यारलतीफ खां और राय दुर्लभ ने किया।

23जून,1757 कोअंग्रेजों ने मीरजाफर को बंगाल का नवाब बना दिया।

युद्ध का परिणाम

प्लासी के युद्ध के परिणाम में इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने कहा कि 23 जून,1757 को भारत में मध्यकालीन युग का अंत हो गया और आधुनिक युग का शुभारंभ हुआ।एक पीढी से भी कम समय या प्लासी के युद्ध के 20 वर्ष बाद ही देश धर्मतंत्री शासन के अभिशाप से मुक्त हो गया।

डॉ.दीनानाथ वर्मा के शब्दों में प्लासी का युद्ध एक ऐसे विशाल और गहरे षड्यंत्र का प्रदर्शनथा,जिसमें एक ओर कुटिल नीति निपुण बाघ था और दूसरी ओर भोला शिकार,युद्ध मेंअदूरदर्शिता की हार हुई और कूटिलता की जीत। यदि इसका नाम युद्ध है तो प्लासी का प्रदर्शन भी युद्ध था। लेकिन सामान्य भाषा में जिसे युद्ध कहते हैं वह प्लासी में कभी हुआ ही नहीं।

इतिहासकार के.एस.पन्निकर के अनुसार प्लासी सौदा था, जिसमें बंगाल के धनी लोगों और मीरजाफर ने नवाब को अंग्रेजों को बेच दिया।

प्लासी के युद्ध के बाद आर्थिक रूप से भारक के इस सबसे समृद्ध प्रांत को जी भर कर लूटा गया।1757ई. से 1760ई. के बीच मीरजाफर ने अंग्रेजों को तीन करोङ रु. की घूस दी,क्लाइव को युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में 37,70,833 पौण्ड प्राप्त हुआ।

अल्फ्रेड लायल के अनुसार प्लासी में क्लाइव की सफलता ने बंगाल में युद्ध तथा राजनीति का एकअत्यंत विस्तृत क्षेत्र अंग्रेजों के लिए खोल दिया।

प्लासी के युद्ध के परिणामों की बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों की विजय के साथ पुष्टि हुई।युद्ध ने अंग्रेजों को तात्कालिक सैनिक एवं वाणीज्यिक लाभ प्रदान किया, कंपनी का बंगाल,बिहार और उङीसा पर राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित हुआ।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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