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हींग की शुद्धता की पहचान कैसे करें?/Identifying the purity of asafoetida

हींग की शुद्धता की पहचान (Identifying the purity of asafoetida) –

हींग की शुद्धता
  • हींग को माचिस से जलाने पर यदि पूरा जल जाए तो हींग शुद्ध तथा असली है। इसकी राख पांच फीसदी से अधिक बचे तो समझें कि उतनी ही मिलावट है।
  • हींग शुद्ध है तो उसे आग में डालने पर तुरंत चमकीली लौ पैदा होती है और तुरंत सुगंधयुक्त धुआँ उठता है, किन्तु यदि देर से धुआँ दे तो उसे नकली समझना चाहिए।
  • असली हींग पानी में डालते ही तुरंत घुल जाती है और पानी हल्के दूधिया रंग का हो जाता है। इसे दूसरे पात्र में पलट लें। अगर तलछट में रेत, कंकङ नीचे जम जाए तो हींग को मिलावटी या नकली समझ लेना चाहिए।
  • असली हींग लाली लिए होती है जबकि नकली या मिलावटी हींग भूरे या मटमैले रंग की होती है।
  • हींग का छोटा सा टुकङा जीभ पर रखने से तेज घबराहट और कङआपन सा महसूस होता है। यह असली हींग की पहचान है।
  • हींग दानेदार ही सही मानी जाती है।
  • घर में हींग ऐसी जगह पर रखें जहाँ सीलन न हो।
  • हींग गर्म है, इसे ठंडक में रखिए।
  • हींग जिस डिब्बी में रखें उसका ढक्कन सही बंद करें। बाहर की नमी का असर डिब्बी में पङी हींग तक नहीं पहुँचना चाहिए।
  • शुद्ध हींग को अगर चुटकी से मसला जाए तो वह तेल के रूप में बदल जाती है।
  • जितनी तीव्र गंध होगी उतनी अच्छी व गुणवता वाली हींग का सेवन सावधानी से करना चाहिए।

हींग से क्या-क्या सावधानी रखें-

यकृत विकारी और गर्म प्रकृति वालों को हींग का सेवन सावधानी से करना चाहिए।

  • लंबे समय तक रोज न लें।
  • थोङी मात्रा में ही इसका सेवन करें।
  • गर्भवती स्त्री हींग का सेवन कम करें।
  • शिशु को गर्मी का विकार हो तो माँ हींग न लें।
  • पित्त प्रकृति के व्यक्ति औषधि के रूप में ही लें।

हींग के बारे में जानकारी

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