वेंगी के चालुक्य शासक विष्णुवर्धन चतुर्थ का इतिहास
वेंगी के चालुक्य शासक विजयादित्य प्रथम के बाद उसका पुत्र विष्णुवर्धन चतुर्थ (764-799ई.) राजा बना। इस समय राष्ट्रकूट वंश में कृष्ण प्रथम का शासन था। उसने अपने पुत्र गोविंद द्वितीय को वेंगी के चालुक्य राज्य पर आक्रमण करने के लिये भेजा। राष्ट्रकूट वंश के अलस अभिलेख (769ई.) से पता चलता है, कि युवराज गोविंद द्वितीय ने वेंगी के विरुद्ध अभियान का नेतृत्व किया था तथा उसने मुसी और कृष्णा नदियों के संगम पर अपने विजयशिविर में कोष, सेना तथा भूमि सहित वेंगी नरेश के समर्पण को स्वीकार किया था। इससे ऐसा निष्कर्ष निकलता है, कि विजयादित्य ने बिना युद्ध के ही राष्ट्रकूट नरेश की अधीनता स्वीकार कर ली थी। तथा उसे भेंट-उपहार आदि से संतुष्ट कर दिया था। इसके बाद राष्ट्रकूट राज्य में उत्तराधिकार रहा और गोविन्द की हत्या कर दी गयी। अपने को राष्ट्रकूट वंश का राजा बना लेने के बाद ध्रुव ने वेंगी पर पूरी शक्ति के साथ आक्रमण किया। विष्णुवर्धन पराजित हुआ और उसने ध्रुव की अधीनता में रहना स्वीकार कर लिया। उसने अपनी पुत्री शीलमहादेवी का विवाह भी ध्रुव के साथ कर दिया। वेंगी पर राष्ट्रकूटों का अधिकार ध्रुव के बाद उसके पुत्र गोविन्द तृतीय के समय में भी बना रहा, क्योंकि उसके लेखों में कहा गया है, कि “वेंगी नरेश अपने स्वामी की आज्ञाओं का पालन करने के लिये सदा तैयार रहता था।”
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
India Old Days : Search