इतिहासगुप्त कालप्राचीन भारतमंदिर

देवगढ का दशावतार मंदिर

उत्तर प्रदेश के ललितपुर (प्राचीन झांसी) जिले में देवगढ नामक स्थान से यह मंदिर प्राप्त हुआ है। गुप्त काल के सभी मंदिरों में देवगढ का दशावतार मंदिर सर्वाधिक सुंदर है, जिसमें गुप्त मंदिरों की सभी विशेषतायें प्राप्त हो जाती हैं। इसका ऊपरी भाग नष्ट हो चुका है।

मंदिर का निर्माण एक ऊँचे एवं चौङे चबूतरे पर किया गया है।

मंदिर के गर्भगृह का प्रवेशद्वार आकर्षक तथा कलापूर्ण है। उसे द्वारपालों, नदी-देवताओं आदि की मूर्तियों से सजाया गया है। मंदिरों की दीवारों पर शेषशय्या पर शयन करते हुये भगवान विष्णु, नरनारायण, गजेन्द्रमोक्ष आदि के सुंदर दृश्य उत्कीर्ण हैं। रामायण तथा महाभारत के कई मनोहारी दृश्यों का अंकन भी इसमें प्राप्त होता है।

गर्भगृह के ऊपर पिरामिडनुमा ऊँचा तिहरा शिखर मिलता है। इसके चारों दिशाओं में चैत्यकार कीर्तिमुख (गवाक्ष) तथा इसके ऊपर बीच में खरबुजिया आकार का विशाल आमलक बना था। इस प्रकार के एक से अधिक मंजिल वाले प्रसाद को बहुभूमिक कहा जाता था।

सबसे ऊपरी मंजिल को अग्रभूमि कहते थे, जिसके ऊपर पाषाण आमलक तथा एक कलश स्थापित रहता था। इस प्रकार जहाँ अन्य मंदिरों की छतें सपाट हैं, वहाँ यह मंदिर शिखर मंदिर का पहला उदाहरण है। इसे गुप्तकाल के उत्कृष्ट वास्तु का नमूना माना जा सकता है।

इसके अनेक तत्वों को बाद के मंदिरों में ग्रहण किया गया है। पर्सी ब्राउन के शब्दों में संपूर्ण भवन अपने अंगों के सटीक नियोजन की दृष्टि से, जो सभी व्यवहारिक रूप से उपयोगी होते हुए भी उच्चतम कलात्मक भावना से परिपूर्ण थे, निःसंदेह असाधारण उत्कृष्टता का था।

देवगढ के गुप्त मंदिर के समान तक्षण क्षमता की परिपक्वता एवं परिष्कार से युक्त उच्चस्तरीय कारीगरी बहुत कम स्मारक प्रदर्शित कर सकते हैं।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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