प्राचीन भारतइतिहासगुप्त काल

दिल्ली के मेहरौली का लौहस्तंभ लेख

दिल्ली में मेहरौली नामक स्थान से यह लौह स्तंभ प्राप्त हुआ है, जो कुतुबमीनार के समीप वर्तमान है। इसमें चंद्र नामक किसी राजा की उपलब्धियों का वर्णन तीन श्लोकों के अंतर्गत किया गया है, जिसका सारांश इस प्रकार है-

जिसने बंगाल के युद्ध-क्षेत्र में मिलकर आये हुये अपने शत्रुओं के एक संघ को पराजित किया था, जिसकी भुजाओं पर तलवार द्वारा उसका यश लिखा गया था, जिसने सिंधु नदी के सातों मुखों को पार कर युद्ध में बाह्लिकों को जीता था, जिसके प्रताप के सौरभ से दक्षिण का समुद्रतट अब भी सुवासित हो रहा था।

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अभिलेख के अनुसार जिस समय यह लिखा गया वह राजा मर चुका था, किन्तु उसकी कीर्ति इस पृथ्वी पर फैली हुई थी। उसने अपने बाहुबल से अपना राज्य प्राप्त किया था, तथा चिरकाल तक शासन किया। भगवान विष्णु के प्रति महती श्रद्धा के कारण विष्णुपद नामक पर्वत पर उसने विष्णुध्वज की स्थापना की थी।

इस लेख में तिथि अंकित नहीं है। न तो राजा का पूरान नाम मिलता है और न ही कोई वंशावली दी गई है। फलस्वरूप इस राजा के समीकरण के प्रश्न पर विद्वानों में मतभेद है। प्राचीन भारतीय इतिहास में चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य तक चंद्रनामधारी जितने भी शासक हुये हैं, उन सबके साथ मेहरौली लेख के चंद्र का मीकरण स्थापित करने का विद्वानों ने भिन्न-2 प्रयास किया है।

इस लेख की लिपि गुप्तकाल की है।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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