गुप्त कालइतिहासप्राचीन भारतहूण

हूणों का प्रथम आक्रमण किसके काल में हुआ था

हूण, मध्य एशिया में निवास करने वाली एक बर्बर जाति थी। जनसंख्या की वृद्धि एवं प्रसार की आकांक्षा से वे अपना मूल निवास स्थान छोङकर नये प्रदेशों की खोज में निकल पङे। आगे चलकर उनकी दो शाखायें हो गयी-

पश्चिमी शाखा –

पश्चिमी शाखा के हूण आगे बढते हुये रोम पहुँचे, जिनकी ध्वंसात्मक कृतियों से शक्तिशाली रोम-साम्राज्य को गहरा धक्का लगा।

पूर्वी शाखा

पूर्वी शाखा के हूण क्रमशः आगे बढते हुये आक्सस नदी-घाटी में बस गये। इसी शाखा ने भारत पर अनेक आक्रमण किये।

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हूणों का प्रथम आक्रमण स्कंदगुप्त के समय में हुआ। इस आक्रमण का नेता खुशनेवाज था, जिसने ईरान के ससानी शासकों को दबाने के बाद भारत पर आक्रमण किया। यह युद्ध बङा भयंकर था। उसकी भयंकरता का संकेत भितरी स्तंभलेख में हुआ है, जिसके अनुसार हूणों के साथ युद्ध -क्षेत्र में उतरने पर उसकी भुजाओं के प्रताप से पृथ्वी काँप गयी तथा भीषण आवर्त (बवंडर) उठ खङा हुआ। स्कंदगुप्त (क्रमादित्य) का इतिहास।

इस युद्ध में स्कंदगुप्त ने हूणों को बुरी तरह से परास्त किया तथा भारत से बाहर खदेङ दिया। इस युद्ध का प्रमाण स्कंदगुप्त के जूनागढ अभिलेख से मिलता है, जिसमें हूणों को म्लेच्छ कहा गया है। म्लेच्छ – देश से तात्पर्य गंधार से है, जहाँ पराजित होने के बाद हूण नरेश ने शरण ली थी।

चंद्रगोमिन ने अपने व्याकरण में एक सूत्र लिखा है – जटों (गुप्तों) ने हूणों को जीता, यहाँ इस पंक्ति का अर्थ स्कंदगुप्त की हूण-विजय से है।

सोमदेव के कथासरित्सागर में उल्लेख मिलता है, कि उज्जयिनी के राजा महेन्द्रादित्य के पुत्र विक्रमादित्य ने म्लेच्छों को जीता था। यहाँ भी स्कंदगुप्त की ओर ही संकेत है, जो कुमारगुप्त महेन्द्रादित्य का पुत्र था। म्लेच्छो से तात्पर्य हूणों से ही है।

युद्ध स्थल-

स्कंदगुप्त एवं हूणों के बीच युद्ध किस स्थल पर हुआ था, यह कहना कठिन है। विभिन्न मतमतांतरों को देखते हुये पश्चिमी भारत के किसी भाग को ही युद्ध – स्थल मानना अधिक तर्कसंगत लगता है। युद्ध-स्थल कहीं भी रहा हो, स्कंदगुप्त ने हूणों को पराजित किया तथा अपने साम्राज्य से बाहर खदेङ दिया।

हूण गंधार तथा अफगानिस्तान में बस गये, जहाँ हूण ईरान के ससानी राजाओं के साथ संघर्ष में उलझ गये।

हूणों को पराजित करने के उपलक्ष्य में स्कंदगुप्त ने भी अपने पूर्वजों समुद्रगुप्त तथा चंद्रगुप्त द्वितीय के समान विक्रमादित्य की उपाधि धारण की। गुप्त शासक समुद्रगुप्त भारत का नेपोलियन।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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