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पुष्यमित्र शुंग के समय यवन आक्रमण

पुष्यमित्र शुंग के शासन काल की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना यवनों के भारतीय आक्रमण की है। विभिन्न साक्ष्यों से पता चलता है, कि यवन आक्रमणकारी बिना किसी अवरोध के पाटलिपुत्र के निकट आ पहुँचे। इस आक्रमण की चर्चा पतंजलि के महाभाष्य, गार्गीसंहिता तथा कालिदास के मालविकाग्निमित्र नाटक में हुई है। पतंजलि पुष्यमित्र के पुरोहित थे।

पुष्यमित्र शुंग कौन था?

पतंजलि ने महाभाष्य में उन्होंने लिखा है कि – यवनों ने साकेत पर आक्रमण किया, यवनों ने माध्यमिका (चित्तौङ) पर आक्रमण किया। गार्गीसंहिता में इस आक्रमण का उल्लेख इस प्रकार हुआ है, कि दुष्ट विक्रांत यवनों ने साकेत, पंचाल तथा मथुरा को जीता और पाटलिपुत्र तक पहुँच गये। प्रशासन में घोर अव्यवस्था उत्पन्न हो गयी, तथा प्रजा व्याकुल हो गयी। परंतु उनमें आपस में ही संघर्ष छिङ गया और वे मध्यप्रदेश में नहीं रुक सके।

हम निश्चित तौर पर यह नहीं बता सकते कि यवन आक्रमण का नेता कौन था?यवन आक्रमण का नेता कुछ विद्वान डेमेट्रियस को तो कुछ विद्वान मेनाण्डर को मानते हैं।

नगेन्द्र नाथ घोष के विचार में भारत पर दो यवन आक्रमण हुये थे –

  1. प्रथम पुष्यमित्र के शासन के प्रारंभिक दिनों में हुआ, जिसका नेता डेमेट्रियस था।
  2. द्वितीय आक्रमण पुष्यमित्र के शासन के अंतिम दिनों में अर्थात् पुष्यमित्र की मृत्यु के तुरंत बाद हुआ था, जिसका नेता मिनांडर था।

टार्न महोदय ने एक ही यवन आक्रमण का उल्लेख किया है।टार्न के अनुसार यवन आक्रमण का नेता डेमेट्रियस था।

कैलाश चंद्र ओझा के अनुसार मगध पर डेमेट्रियस अथवा मेनांडर के समय में कोई यवन आक्रमण नहीं हुआ था।

एक अन्य मत के अनुसार प्रथम यवन आक्रमण बृहद्रथ के काल में ही हुआ था। तथा सेनापति के रूप में ही पुष्यमित्र ने यवनों को परास्त किया था।

ए.के.नरायन का विचार है कि मध्य भारत पर यवनों का एक ही आक्रमण हुआ। यह पुष्यमित्र के शासन काल के अंत में हुआ तथा इसका नेता मेनाण्डर था। नरायन के अनुसार डेमेट्रियस कभी भी काबुल घाटी के आगे नहीं बढ सका था।

यवनों की पराजय

मालविकाग्निमित्र के अनुसार भी पुष्यमित्र के यवनों के साथ युद्ध हुए थे, और उसके पौते वसुमित्र ने सिन्धु नदी के तट पर यवनों को परास्त किया था। जिस सिन्धु नदी के तट पर शुंग सेना द्वारा यवनों की पराजय हुई थी, वह कौन-सी है, इस विषय पर भी इतिहासकारों में मतभेद है।

श्री वी. ए. स्मिथ ने यह प्रतिपादन किया था, कि मालविकाग्निमित्र की सिन्धु नदी राजपूताने की सिन्ध या काली सिन्ध नदी है, और उसी के दक्षिण तट पर वसुमित्र का यवनों के साथ युद्ध हुआ था। पर अब बहुसंख्यक इतिहासकारों का यही विचार है, कि सिन्धु से पंजाब की प्रसिद्ध सिन्ध नदी को ही ग्रहण करना चाहिए। पर यह निर्विवाद है, कि यवनों को परास्त कर मगध साम्राज्य की शक्ति को कायम रखने में पुष्यमित्र शुंग को असाधारण सफलता मिली थी।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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