गांधी इरविन समझौता क्या था

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गांधी इरविन समझौता क्या था?

Subhash Saini Changed status to publish अगस्त 11, 2020
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5 मार्च 1931 को लंदन द्वितीय गोल मेज सम्मेलन के पूर्व, महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हस्ताक्षर करके एक राजनीतिक समझौता किया गया था, जिसे गांधी-इरविन समझौता के रूप में जाना जाता है।

गाँधी-इरविन पैक्ट की मिश्रित प्रतिक्रिया हुई। गाँधीजी ने इसे उचित बताया, क्योंकि पहली बार सरकार ने भारतीय नेताओं के साथ समानता के स्तर पर बातचीत की थी। किन्तु जवाहरलाल नेहरू व सुभाषचंद्र बोस गांधीजी के इस मूल्यांकन से सहमत नहीं थे, क्योंकि एक तरफ कांग्रेस के सामने पूर्ण स्वाधीनता का लक्ष्य था और दूसरी ओर गाँधीजी ने महत्त्वपूर्ण विषयों को अंग्रेजों के हाथों में रखना स्वीकार कर लिया था।

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