स्वेज नहर संकट क्या था
1956 में अमेरिका और ब्रिटेन ने मिस्त्र पर गुटनिरपेक्षता की नीति छोङ देने के लिए भारी दबाव डाला, और उन्होंने नील नदी पर आस्वान डैम (बांध ) बनाने के लिए की गयी वित्तीय सहायता का वादा वापस ले लिया।
गुटनिरपेक्षता की नीति क्या थी।
प्रतिक्रिया स्वरूप मिस्त्र ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इससे नहर का उपयोग करने वाले घबरा गये। ब्रिटेन और फ्रांस ने इसके अंतर्राष्टीयकरण की मांग की।
फलस्वरूप जब ब्रिटेन, फ्रांस और इजराइल ने स्वेज क्षेत्र में अपनी सेनाएं उतारी तो नेहरू ने इसे खुला हमला बताया। क्योंकि कुस्तुनतुनिया संधि 1888 के अनुसार इसे मिस्त्र का अभिन्न अंग माना गया था। अन्ततः भारत के प्रयास और संयुक्त राष्ट्र संघ के दबाव के कारण इस संकट का समाधान हुआ। और 1969 में स्वेज नहर का राष्टीयकरण हो गया।
इसी प्रकार 1956 में हंगरी के प्रश्न पर भारत ने न तो सोवियत संघ का विरोध किया तथा न ही पश्चिमी शक्तियों का समर्थन किया, बल्कि तटस्थ रहकर सोवियत-संघ की सहानुभूति हासिल की।
1960 में कांगो की स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए कांगो में बेल्जियम फौजो के प्रवेश का व्यापक विरोध किया तथा भारतीय शांति सैनिकों को कांगो में भेजकर मार्च, 1963 में कांगो गृह-युद्ध को समाप्त करवाया।
Reference : https://www.indiaolddays.com/