इतिहासप्राचीन भारतवाकाटक वंश

वाकाटक शासक विन्ध्यशक्ति का इतिहास

वाकाटक राजवंश की स्थापना २५५ ईस्वी के लगभग विन्ध्यशक्ति नामक व्यक्ति ने की थी। उसके पूर्वज वाकाटक राजवंश का इतिहास। के अधीन बरार के स्थानीय शासक थे। सातवाहनों के पतन के बाद विन्ध्यशक्ति ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। अजंता अभिलेख में उसे वंश-केतु कहा गया है। उसने अपने पैतृक राज्य को विन्ध्यपर्वत के उत्तर में पूर्वी मालवा तक विस्तुत किया।

वाकाटक राजवंश का इतिहास।

अल्तेकर का अनुमान है,कि विन्ध्यशक्ति उसका मौलिक नाम न होकर विरुद था और विन्ध्यक्षेत्र में अपना राज्य स्थापित कर लेने के बाद उसने यह उपाधि ग्रहण की होगी। पुराण उसे विदिशा का शासक बताते हैं।

अजंता के लेख में विन्ध्यशक्ति की प्रशंसा इस प्रकार मिलती है-

  • उसने महान युद्धों को जीत कर अपनी शक्ति का विस्तार किया था।
  • उसके क्रोध को देवता भी नहीं रोक सकते थे।
  • वह इन्द्र के समान प्रभाव वाला था।
  • उसने अपनी भुजाओं के बल से समस्त लोकों की विजय की थी।

विन्ध्यशक्ति ने कोई राजकीय उपाधि ग्रहण नहीं की तथा संभवतः उसका विधिवत् राज्याभिषेक भी नहीं हुआ था। विन्ध्यशक्ति ने लगभग २७५ ईस्वी तक शासन किया।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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