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भारत-भूटान संबंध इन हिन्दी

भूटान पूर्वी हिमालय क्षेत्र में स्थित एक छोटा स्वतंत्र पर्वतीय राज्य है। यहाँ अधिकतर भूटिया जाति के लोग रहते हैं, यहाँ के लोग बौद्ध धर्मावलंबी हैं। भारत की उत्तरी प्रतिरक्षा व्यवस्था में भूटान का भेद्यांग की संज्ञा दी जाती है।

बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग

सिनचुला संधि

भारत भूटान संबंधों की शुरुआत 1865 की सिनचुला संधि के द्वारा होती हैं। इस संधि के द्वारा भूटान को भारतीय रियासत का रूप प्रदान किया गया।

पुनरवा संधि

इसके बाद पुनः 1910 में दोनों देशों के बीच पुनरवा संधि हुई, जिसके द्वारा तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भूटान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने तथा भूटान ने अपने विदेशी मामलों को भारत के निर्देशन में चलाना स्वीकार कर लिया।

1949 में भूटान और स्वतंत्र भारत की सरकार के बीच पुनः एक संधि हुई, जिसके द्वारा तात्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भूटान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने तथा भूटान ने अपने विदेशी मामलों हस्तक्षेप न करने का वचन दिया।

इस संधि के अनुच्छेद 2 में कहा गया कि, भूटान सरकार अपने विदेशी मामलों को भारत सरकार की सलाह से संचालित करेगी। भारत सरकार भूटान को प्रतिवर्ष 5 लाख रु. देगा। किन्तु भारत-चीन युद्ध के बाद भूटान ने अपनी प्रतिरक्षा का भार भी भारत को सौंप दिया।

भारत ने भूटान के विकास में सक्रिय सहयोग दिया। भारतीय सीमा सङक संगठन ने भूटान में 1000 किमी. लंबी सङक का निर्माण किया, अनेक हवाई-पट्टियां बनवायी, भारत के सहयोग से ही भूटान की नयी राजधानी थिम्पू का निर्माण किया गया।

यद्यपि 1973 में सिक्किम के भारत में विलय से दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद जरूर उभरे।

भारत की पहल पर ही भूटान 1971 में संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना। राजदूतावास का नई दिल्ली में दर्जा बढा दिया। यह सार्क का भी सदस्य है तथा दक्षिण-एशिया में डाक सेवाओं में सहयोग संबंधी समिति का अध्यक्ष भी है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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