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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल तन्जौर

तमिलनाडु के त्रिचनापल्ली जिले में स्थित तन्जौर नामक नगर प्राचीन समय में सुप्रसिद्ध चोल शासकों की राजधानी थी। यह नगर कावेरी नदी के दक्षिण की ओर बसा है। चोल राजाओं के काल में इसकी महती उन्नति हुई। प्रसिद्ध चोल शासक राजराज ने 1000 ई. के लगभग यहाँ केबृहदेश्वर  मन्दिर का निर्माण करवाया था। यह 500X500 के आकार वाले विशाल प्रांगण में स्थित है। इसमें मध्यकालीन वास्तुकला के सभी लक्षण मिलते है। मन्दिर के गर्भगृह, मण्डप तथा विमान सभी आकर्षण है।

विमान 190 फीट ऊँचा है। मन्दिर की तीन बाहरी दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं की कलात्मक प्रतिमाएँ बनी हुई है। गर्भगृह को भी अनेक सुन्दर मूर्तियों तथा चित्रों से अलंकृत किया गया है। यह मन्दिर दक्षिण भारत का सर्वश्रेष्ठ हिन्दू मन्दिर माना जाता है। प्रो. नीलकण्ड शास्त्री के शब्दों में ‘भारत के मन्दिरों में सबसे बड़ा तथा लम्बा यह मन्दिर एक उत्कृष्ट कलाकृति है जो दक्षिण भारतीय स्थापत्य के चरमोत्कर्ष को व्यक्त करती है। द्रविड़ शैली का यह सर्वोत्तम नमूना है।’

बृहदेश्वर(शिव) के मन्दिर के अतिरिक्त तन्जौर से कई अन्य मन्दिरों के भी उपकरण मिलते है। इनमें सुब्रह्मण्यम मन्दिर तथा रामानाथस्वामी का मन्दिर उल्लेखनीय है। कुल मिलाकर यहाँ 75 से भी अधिक छोटे-बड़े मन्दिर यहाँ विद्यमान है।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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