इतिहासनेपोलियन बोनापार्टविश्व का इतिहास

वाटरलू का युद्ध कब हुआ

नेपोलियन बोनापार्ट की लिपजिंग के युद्ध में पराजय के बाद मित्र राष्ट्रों ने बर्वो वंश के लुई अठारहवें को फ्रांस के सिंहासन पर बैठाया और फ्रांस के साथ अस्थायी संधि कर ली।

नेपोलियन से छुटकारा पाने के बाद यूरोप की समस्याओं को सुलझाने के लिए 1814 ई. में ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में मेटरनिख की अध्यक्षता में एक सम्मेलन हुआ, जिसे वियना कांग्रेस के नाम से जाना जाता है। फ्रांस की भौगोलिक सीमा वही रखी गई जो 1792 में थी और वहां बूर्वो वंश के शासन को पुनर्स्थापित किया गया।

फ्रांस में लुई 18वें के अव्यवस्थित शासन से जनता असंतुष्ट थी। नेपोलियन को इन परिस्थितियों की सूचना मिली तो एक बार पुनः वह फ्रांस पर अधिकार करने के लिए मार्च 1815 में एल्बा से चलकर फ्रांस आया।

सैनिकों और पेरिस की जनता ने उसका शानदार स्वागत किया। लुई 18 वाँ जल्दी से फ्रांस छोङकर बेल्जियम भाग गया। नेपोलियन पुनः फ्रांस का सम्राट बन गया। मित्र राष्ट्रों(ब्रिटेन, रूस, प्रशा, आस्ट्रिया, हंगरी) ने तत्काल उसके विरुद्ध युद्ध छेङ दिया। वेलिंगटन अपनी सेना के साथ प्रशियन सेनापति ब्लूचर से मिलने के लिये चल पङा। आस्ट्रियन सेना भी राइन की तरफ बढने लगी।

वाटरलू के युद्ध में एक तरफ फ्रांस था तो दूसरी तरफ ब्रिटेन, रूस, प्रशा, आस्ट्रिया, हंगरी की सेना थी।

नेपोलियन ने अपने शत्रुओं को आपस में मिलने से पहले ही अलग-अलग पराजित करने की योजना बनाई। सर्वप्रथम, उसने ब्लूचर को बुरी तरह से पराजित किया। अंत में, 18 जून, 1815 के दिन वाटरलू के मैदान(बेल्जियम) पर नेपोलियन और वेलिंगटन के मध्य घमासान युद्ध हुआ। दोपहर के बाद वेलिंगटन की सेना परास्त होने लगी, परंतु ठीक समय पर प्रशियन सेनापति ब्लूचर अपनी सेना सहित युद्ध के मैदान पर जा पहुँचा, जिससे युद्ध का पास ही पलट गया। अब नेपोलियन की सेना के पैर उखङ गए और वह परास्त हो गयी।

नेपोलियन ने अमेरिका भागने की योजना बनाई, परंतु वह अंग्रेजों के हाथों में पङ गया। अंग्रेजों ने उसे सुदूर अटलांटिक महासागर के सेण्ट हेलेना के द्वीप में बंदी बनाकर रखा। यहाँ पर 52 वर्ष की आयु में 6 वर्ष बाद 1821 ई. में आधुनिक संसार के इस महान विजेता तथा रणकुशल सेनानायक की मृत्यु हो गयी। उसी के साथ फ्रांस की क्रांति का अध्याय भी समाप्त हो गया।

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