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नेपोलियन बोनापार्ट का जीवन परिचय

नेपोलियन बोनापार्ट का जीवन परिचय

नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त, 1769 को कोर्सिया द्वीप के एक निर्धन वकील कार्लो बोनापार्ट के घर में हुआ था। उसकी माता लेटीजिया बहुत ही सुन्दर और कठिन परिश्रम वाली महिला थी। नेपोलियन के चार भाई तथा तीन बहिनें थी। दस वर्ष की आयु में नेपोलियन को विद्याध्ययन के लिये फ्रांस भेज दिया गया।

वहाँ शुरू में उसने शैम्पेन क्षेत्र के ब्रिएन के सैनिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। 1784 ई. की 16 सितंबर को उसने तूलों के घेरे के समय सेना की एक टुकङी का नेतृत्व किया। इन दिनों तूलों नगर में प्रतिक्रियावादी उपद्रव उठ खङे हुए थे।

राष्ट्रीय महाभा का अधिवेशन भी इसी नगर में हो रहा था। उत्तेजित भीङ को नियंत्रित करके महासभा के सदस्यों को मृत्यु के मुख से बचाया। इससे रॉब्सपियर उससे काफी प्रसन्न हुआ। 1794 ई. के अप्रैल में वह आर्टिलरी का जनरल (प्रधान तोपची) नियुक्त हुआ।

रॉब्सपियर के पतन के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन 20 अगस्त को उसे छोङ दिया गया और पुनः पुराने पद पर नियुक्त कर दिया गया। 1795 ई. के मई मास में उसे बेण्डी के अभियान पर जाने का आदेश मिला, लेकिन वह नहीं गया और पेरिस में ही जमा रहा।

इस वर्ष कन्वेन्शन के भंग हो जाने के बाद जिन पाँच सदस्यों का संचालन मंडल (डाइरेक्टरी) बना था, उनसे नेपोलियन ने अच्छी मित्रता कर ली। इसी वर्ष 5 अक्टूबर को राजतंत्र के समर्थकों का विद्रोह उठ खङा हुआ। इस विद्रोह को दबाने में नेपोलियन ने अपनी योग्यता का परिचय दिया। परिणास्वरूप उसे आंतरिक सेना का कमान मिला।

सेनापति बरास के माध्यम से उसे जोसेफाइन बौहारनैंस जैसी पत्नी भी मिल गई। नेपोलियन की उन्नति में उसकी पत्नी का बहुत बङा हाथ था। वह एक प्रभावशाली महिला थी और सरकारी पदों पर काम करने वाले बहुत से लोग उसके मित्र तथा शुभचिंतक थे। नेपोलियन की योग्यता से प्रभावित होकर युद्ध मंत्री कार्नो ने उसे इटली अभियान का प्रधान सेनापति नियुक्त किया।

नेपोलियन की मृत्यु

1815 में मित्र-राष्ट्रों की मिली-जुली सेना से वाटरलू के युद्ध में उसे घोर पराजय का सामना करते हुए इंग्लैण्ड के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा, जिसके फलस्वरूप उसे सेंटहेलेना द्वीप में भेज दिया गया। 6 वर्षों का यातनामय जीवन बिताते हुए नेपोलियन ने मृत्यु से पहले अपनी वसीयत में यह लिखा था कि- ‘मुझे सोन नदी के तट पर फ्रांस की जनता के बीच दफनाया जाये, जिससे कि मैं बहुत अधिक प्रेम करता हूं।’

वॉटरलू की लड़ाई(18 जून 1815) में हार जाने के बाद नेपोलियन को 1821 में ‘सेन्ट हैलेना द्वीप’ निर्वासित कर दिया गया था, जहाँ 52 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई।


1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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