प्राचीन भारतइतिहास

यूक्रेटाइडीज शाखा का इतिहास

जिस समय डेमेट्रियस अपनी भारतीय विजयों में फँसा हुआ था। उसी समय यूक्रेटाइडीज नामक किसी महत्वाकांक्षी व्यक्ति ने उसके गृह-राज्य बैक्ट्रिया में विद्रोह का झंडा खङा कर दिया था। तथा 171 ईसा.पू. के लगभग बैक्ट्रिया डेमेट्रियस के अधिकार से चला गया।

डेमेट्रियस एक बङी सेना के साथ बैक्ट्रिया पहुँचा, परंतु चार महीने के घेरे के बाद भी उसे सफलता नहीं मिली। डेमेट्रियस के अंतिम दिनों के बाद की जानकारी हमारे पास नहीं है। या तो वह यूक्रेटाइडीज के विरुद्ध लङता हुआ मारा गया अथवा विद्रोह का दमन करने में असफल होने पर उसने अपने अंतिम दिन भारत में ही व्यतीत किये।

स्ट्रेबो के विवरण से हमें पता चलता है, कि यूक्रेटाइडीज ने अपने को बैक्ट्रिया से 1,000 नगरों का शासक बना दिया। जस्टिन के अनुसार उसने भारत (सिंध प्रदेश) की भी जीत हासिल की थी। उसके सिक्के पश्चिमी पंजाब से पाये गये हैं। उनमें यूनानी तथा खरोष्ठी लिपियों में लेख मिले हैं। स्ट्रैबो के अनुसार यूक्रेटाइडीज झेलम नदी तक बढ आया था।

यूक्रेटाइडीज की भारतीय विजयों के परिणामस्वरूप पश्चिमोत्तर भारत में दो यवन – राज्य स्थापित हो गये

  1. यूक्रेटाइडीज तथा उसके वंशजों का राज्य-
  2. यूथीडेमस के वंशजों का राज्य-

जस्टिन बताता है कि जब यूक्रेटाइडीज अपनी भारतीय विजयों के बाद बैक्ट्रिया जा रहा था, तो मार्ग में अपने पुत्र द्वारा मार डाला गया। यह हत्यारा हेलियोक्लीज था। वह बैक्ट्रिया में यवनों का अंतिम शासक था। 125 ईसा. पूर्व के लगभग बैक्ट्रिया से यवन-साम्राज्य समाप्त हो गया तथा वहाँ शकों का राज्य स्थापित होे गया। हेलियोक्लीज काबुल घाटी तथा सिंधु स्थित अपने राज्य में वापिस लौट गया।

बैक्ट्रिया के हाथ से निकल जाने के बाद यवनों का राज्य अब केवल मध्य एवं दक्षिण अफगानिस्तान तथा पश्चिमोत्तर भारत तक ही सीमित रह गया।इन भागों में डेमेट्रियस तथा यूक्रेटाईडीज दोनों के वंश के अनेक राजाओं ने शासन किया। सिक्कों से इन दोनों कुलों के कम से कम 35 राजाओं के नामों का पता चलता है, जिन्होंने द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व के मध्य से लेकर 100 वर्षों तक (हिन्द-पहल्व तथा शकों के आगमन तक) इन प्रदेशों में राज्य किया। उनका शासन काल परस्पर संघर्ष एवं विद्वेष का काल है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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