प्राचीन भारतइतिहास

हिन्द-यवन शासक डेमेट्रियस का इतिहास

190 ईसा पूर्व के लगभग यूथीडेमस की मृत्यु के बाद उसका पुत्र डेमेट्रियस बैक्ट्रिया के यवन साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना। वह एक महान विजेता तथा महत्वाकांक्षी शासक था। उसने एक विशाल सेना के साथ हिन्दुकुश की पहाङियों को पार कर सिंध तथा पंजाब के प्रदेशों की विजय की।

डेमेट्रियस का भारत के साथ संबंध कुछ साहित्यिक तथा पुरातत्वीय प्रमाणों द्वारा सूचित होता है। सामान्यतः यह माना जाता है, कि भारत पर यवनों का प्रथम आक्रमण पुष्यमित्र शुंग के समय में हुआ था, और इस प्रकार आक्रमण का नेता डेमेट्रियस ही था।

YouTube Video

पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक उपलब्धियां

इसका उल्लेख अनेक भारतीय ग्रंथों – पतंजलि के महाभाष्य, गार्गीसंहिता, मालविगाग्निमित्र आदि में हुआ है। इन ग्रंथों के अनुसार यवन साकेत, माध्यमिका (चित्तौङ), पंच्चाल तथा मथुरा को जीतते हुए पाटलिपुत्र तक बढ आये थे। परंतु वे मध्यप्रदेश में अधिक दिनों तक न ठहर सके और उन्हें शीघ्र ही देश छोङना पङा।

इसके दो कारण थे-

  1. गार्गी-संहिता के अनुसार उनमें आपस में हो घोर युद्ध छिङा।
  2. पुष्यमित्र शुंग के भीषण प्रतिरोध में भी यवनों के पैर उखङ गये। उसके पौत्र वसुमित्र ने यवनों को सिंधु नदी के दाहिने किनारे पर पराजित कर दिया।

यद्यपि यवन मध्यप्रदेश पर अधिकार नहीं कर सके तथापि ऐसा प्रतीत होता है,कि पश्चिमी पंजाब तथा सिंधु नदी की निचली घाटी पर डेमेट्रियस ने अपना राज्य कायम कर लिया। इन प्रदेशों से उसकी ताम्र मुद्रायें मिलती हैं। इन पर यूनानी तथा खरोष्ठी लिपियों में लेख उत्कीर्ण हैं। बेसनगर से प्राप्त एक मुद्रा पर तिमित्र उत्कीर्ण मिलता है।

क्रमदीश्वर के व्याकरण में दत्तमित्री नामक एक नगर का उल्लेख मिलता है, जो सौवीर (निचली सिंधु घाटी) प्रदेश में स्थित था। संभवतः इसकी स्थापना डेमेट्रियस द्वारा की गयी थी। ऐसा प्रतीत होता है कि उसने शाकल पर पुनः अधिकार कर लिया। खारवेल के हाथीगुंफा अभिलेख में दिमिति नामक किसी यवन राजा का उल्लेख मिलता है।

इस प्रकार डेमेट्रियस ने आक्सस नदी से सिंधु नदी तक के प्रेदश पर अपना अधिकार जमा लिया था।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

Related Articles

error: Content is protected !!