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नेपोलियन की विधि संहिता क्या थी

नेपोलियन की विधि संहिता क्या थी

नेपोलियन का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य उसका नियम-संग्रह अथवा विधि – संहिता है। सेंट हेलीना में एक बार नेपोलियन ने कहा था – मेरा वास्तविक गौरव मेरी 40 युद्धों की विजयों में नहीं है। मेरी विधि – संहिता ही ऐसी है, जो कभी न मिट सकेगी और जो चिरस्थायी सिद्ध होगी।

वस्तुतः विधि-संहिता का महत्त्व उसकी सभी विजयों से अधिक है। उसके नियम-संग्रह संपूर्ण मानव समाज के लिये सर्वोत्तम उदार कार्य हैं।

क्रांति के पूर्व ही असंख्य कानून थे और क्रांति के साथ नए कानूनों की बाढ आ गई। इसलिये इस बात की आवश्यकता थी, कि सभी कानूनों की पारस्परिक असंगतियों को दूर करके उन्हें क्रमबद्ध किया जाये और जनता के सामने स्पष्ट, युक्तिसंगत तथा तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया जाये, जिससे न्याय के मामले में लोगों के दिलों में जो अब तक संदेह और अनिश्चितता फैली हुई थी, वह दूर हो जाये और प्रत्येक नागरिक को भी कानूनों की जानकारी हो जाय।

इस संहिता को तैयार करने में नेपोलियन ने काफी रुचि ली। इसका ढाँचा सामाजिक समानता, धार्मिक, सहिष्णुता, व्यक्तिगत संपत्ति और संयुक्त पारिवारिक जीवन के आधार पर खङा किया गया था। सिविल मैरेज और तलाक की संस्थाओं को मान्यता देकर इस विधि संहिता ने यूरोप में इस बात को प्रचलित कर दिया कि बिना पादरियों की सहायता के भी समाज का काम चल सकता है। यह कानून के आधार पर एक धर्म-निरपेक्ष जीवन की परिकल्पना थी।

नेपोलियन द्वारा निर्मित विधानों की संख्या पाँच थी। ये विधान इस प्रकार थे –

  1. नागरिक नियम (सिविल कोड)
  2. जायदाद संबंधी नियम
  3. नागरिक नियम पद्धति
  4. फौजदारी नियम संग्रह
  5. व्यापारिक नियम संग्रह

नेपोलियन विधि-संहिता पर नेपोलियन के व्यक्तिगत विचारों का जबरदस्त प्रभाव था। वह पारिवारिक अनुशासन को बहुत महत्त्व देता था। उसका मानना था, कि पुत्र को पिता की बात और पत्नी को पति की बात अवश्य ही माननी चाहिये। वह फ्रांस में कङे पिताओं, आज्ञाकारी पुत्रों और बिना अधिकार वाली परतंत्र स्त्रियों की कल्पना करता है।

विधि-संहिता में पत्नी और संतानों पर परिवार के स्वामी के अधिकार को अधिक दृढ बनाने का प्रयास किया गया। पत्नी को पूर्णतया पति के नियंत्रण में रखा गया, तलाक पद्धति को बहुत कठिन बना दिया गया और परिवार के स्वामी को यह अधिकार मिला कि वह पारिवारिक संपत्ति को अपनी इच्छानुसार किसी को भी दे सके।

उसकी यह व्यवस्था क्रांतिकारी प्रवृत्ति के विरुद्ध परंतु रोमन कानूनी व्यवस्था के अधिक नजदीक थी। इसका मुख्य कारण यह था, कि उस समय फ्रांस में पारिवारिक अनुशासन छिन्न-भिन्न हो गया था और समाज में अनैतिकता बढ गयी थी, जिसे रोकना बहुत जरूरी था, लेकिन विवाह पद्धति में सुधार करके नेपोलियन ने एक नए मार्ग का पथ-प्रदर्शन किया।

फ्रांसीसी क्रांति के कारण

नेपिलियन की विधि-संहिता में व्यक्तिगत संपत्ति के सिद्धांत को मान्यता दी गयी और भूमि पर स्वामी के अधिकार को इतना ठोस बनाया गया था, कि जनता पुरातन व्यवस्था में भी नहीं था। किसानों को भूमि छिन जाने का जो भय था, वह हमेशा के लिये जाता रहा और इसलिये वे नेपोलियन के जबरदस्त समर्थक बन गए थे।

विधि-संहिता में पूँजीवादी आर्थिक व्यवस्था को भी पर्याप्त संरक्षण दिया गया और इसके लिये ठेका,ऋण लीज तथा स्टाक कंपनियों से संबंधित अनेक धाराओं का निर्माण किया गया। इस विधि-संहिता से मजदूरों की बढती हुी शक्ति पर अंकुश लगा दिया गया। ट्रेड-यूनियन बनाना कानूनी अपराध माना गया।

मालिक-मजदूर के आपसी संघर्ष में अदालतों को यह कानूनी आदेश था, कि वे मजदूर की अपेक्षा मालिक की बातों को अधिक महत्त्व दें। यह समानता के सिद्धांत का उपहास था। इसलिये प्रायः यह कहा जाता है, कि नेपोलियन की विधि-संहिता पूँजीवादी शोषण व्यवस्था की आधारशिला थी और बुर्जुआ क्रांति का चरम विकास थी।

फ्रांस की क्रांति में मध्यम वर्ग का सर्वाधिक योग रहा था और क्रांति का सबसे अधिक लाभ भी इसी वर्ग को मिला था। नेपोलियन की विधि-संहिता ने इन लाभों को एकत्र करके उन्हें सदा-सर्वदा के लिये कानूनी आधार दे दिया। पामर के मतानुसार – क्रांति से लाभ उठाने वाले अपने को सुरक्षित अनुभव करने लगे।

फ्रांस कृषक-प्रजातंत्र और बुर्जुआ वर्ग का स्वर्ग बन गया था। ऐतिहासिक दृष्टि से भी सामंतवाद के बाद क्रमिक विकास की दूसरी मंडिल पूँजीवाद ही है। इतिहासकार हेज का मत है, कि उसकी विधि-संहिता अत्यधिक महत्त्वपूर्ण थी।

नियमों की सरलता और कोमलता के कारण न केवल उनको फ्रांस में ही लागू किया गया, अपितु यूरोपीय महाद्वीप के अधिकांश देशों में भी लागू किया गया और बोनापार्ट को नय जस्टीनियमन ठीक ही कहा गया है। एक अन्य इतिहासकार डेविड थाम्पसन ने लिखा है, – उसका सबसे बङा ध्येय फ्रांस का पुनर्निर्माण था, जिसने नेपोलियन को 18 वीं शताब्दी के प्रबुद्ध शासकों में सबसे महान कहलाने का सबल अधिकार प्रदान कर दिया। निस्संदेह, विधि संहिता नेपोलियन की एक स्थायी कीर्ति है।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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