सल्तनत काल में सैनिक संगठन कैसा था?
सल्तनत काल में सैनिक संगठन – इल्तुतमिश ने सल्तनत की शाही सेना संगठित की। सेना की भरती, वेतन, भुगतान तथा प्रशासन केंद्रीय शासने के अधीन था। इल्तुतमिश की रुचि सैन्य संगठन में बहुत अधिक थी।
सेना में चार प्रकार के सैनिक होते थे –
1.) वे सैनिक जो सुल्तान के सैनिकों के रूप में भरती किए जाते थे। इनमें मुख्यतः शाही अंगरक्षक, शाही गुलाम तथा कुछ अन्य सैनिक थे। इस सेना की देखभाल दीवान-ए-आरिज करता था। सेना की भरती, सैनिकों का वेतन भुगतान, सैनिक संगठन सभी उसके हाथ में था किंतु सेना के प्रशिक्षण की कोई निश्चित व्यवस्था इस काल में नहीं थी।
2.) दूसरे प्रकार के सैनिक दरबार के सरदारों तथा प्रांतीय अक्तादारों द्वारा भरती किए जाते थे। अपनी अक्ता से होने वाली आय से वे इस सेना की भरती, प्रशिक्षण तथा वेतन आदि का व्यय करते थे। वर्ष में एक बार अक्तादार अपनी सेना को सुल्तान के निरीक्षण के लिये ले जाते थे परंतु साधारणतया इस नियम का पालन नहीं किया जाता था। केवल आवश्यकता के समय ये सैनिक सुल्तान की सेना में भेजे जाते थे।
3.) तृतीय वर्ग में वे सैनिक थे जो केवल युद्ध के समय अस्थायी रूप से भरती किए जाते थे।
4.) चतुर्थ वर्ग में में वे सैनिक थे जो स्वयंसेवक होते थे और उन्हें युद्ध में लूटी गई संपत्ति का ही हिस्सा मिलता था। आदि तुर्क काल की सैनिक व्यवस्था तथा सेना के स्वरूप के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त नहीं होती है। परंतु इल्तुतमिश ने केंद्रीय शासन के नियंत्रण में एक स्थायी सेना का निर्माण प्रारंभ किया। सेना के मुख्य अंग घुङसवार व पैदल सैनिक थे। अधिकांश प्रमुख सेनाधिकारी और प्रमुख सैनिक तुर्क गुलाम थे, जैसे मुइज्जीदास, कुत्तबीदास और शम्सीदास। सेना की कुशलता सुल्तान और दीवान-ए-आरिज की योग्यता व निरीक्षण पर निर्भर थी। सुल्तान सेना का मुख्य सेनापति था और प्रांतों में मुक्ता अपनी सेना का नेतृत्व करते थे। परंतु सेना संगठन का स्वरूप अधिक विकसित नहीं था।