कोटा में जन आंदोलन
कोटा में जन आंदोलन – कोटा राज्य में जन-जागृति के जनक पंडित नयनूराम शर्मा थे, जिन्होंने राज्य सेवा से त्यागपत्र देकर सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया था। वे विजयसिंह पथिक द्वारा स्थापित राजस्थान सेवा संघ के सक्रिय सदस्य बन गये और कोटा में बेगार विरोधी आंदोलन चलाया। श्री शर्मा ने 1934 में हाङौती प्रजा मंडल की स्थापना की, लेकिन वह कोई विशेष कार्य नहीं कर सका। 1939 ई. में नयनूराम शर्मा और अभिन्नहरि ने राज्य में उत्तरदायी शासन स्थापित करने के उद्देश्य को लेकर कोटा राज्य प्रजा मंडल की स्थापना की। प्रजा मंडल का प्रथम अधिवेशन नयनूराम शर्मा की अध्यक्षता में मांगरोल में हुआ। 14 अक्टूबर, 1941 ई. में नयनूराम की हत्या कर दी गयी, तब राज्य प्रजा मंडल का नेतृत्व अभिन्नहरि के पास आ गया। 1 नवम्बर, 1941 ई. में प्रजा मंडल का दूसरा अधिवेशन अभिन्नहरि की अध्यक्षता में हुआ।
भारत छोङो आंदोलन से पूर्व बम्बई में रियासती कार्यकर्त्ताओं की बैठक में भाग लेने के बाद अभिन्नहरि ज्योंही कोटा पहुँचे, उन्हें 13 अगस्त, 1942 को किरफ्तार कर लिया गया। बम्बई में लिये गये निर्णय के अनुसार प्रजा मंडल के अध्यक्ष मोतीलाल जैन ने 17 अगस्त को कोटा महाराव को अँग्रेजों से संबंध विच्छेद करने के लिये लिखा। सरकार ने प्रजा मंडल के कार्यकर्त्ताओं की गिरफ्तारियाँ शुरू कर दी। नाथूलाल जैन के नेतृत्व में युवकों ने पुलिस को बैरकों में बंद कर शहर कोतवाली पर अधिकार कर लिया और उस पर तिरंगा झंडा फहरा दिया। जनता ने नगर का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया। लगभग दो सप्ताह बाद जनता ने, महाराव के इस आश्वासन पर कि सरकार दमन का सहारा नहीं लेगी, शासन पुनः महाराव को सौंपा। गिरफ्तार कार्यकर्त्ता रिहा कर दिये गये। महाराव ने राज्य में उत्तरदायी शासन स्थापित करने का भी आश्वासन दिया था, लेकिन 1947 ई. तक कोई वास्तविक कार्य नहीं हुआ। कोटा महाराव ने 1948 ई. के आरंभ में अभिन्नहरि के नेतृत्व में राज्य में लोकप्रिय सरकार बनाने का निर्णय लिया। किन्तु इस निर्णय को कार्यान्वित करने से पूर्व संयुक्त राजस्थान बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी। अतः राज्य में लोकप्रिय सरकार का पद ग्रहण नहीं कर पायी।
References : 1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास
