प्रसव वेदना में हींग से आराम/Asafoetida in labor pain
प्रसव वेदना में हींग से आराम – प्रसव के समय दर्द उठने पर हल्दी तथा सोंठ 5-5 ग्राम को 250 ग्राम पानी में आग पर चौथाई रहने तक जलाएँ। प्रसूता को यह काढा पिलाएँ तथा नाभि व पेट पर हींग को थोङे से पानी में मिलाकर लेप करना चाहिए।
हींग (बाजरे के बराबर) रो गुङ के टुकङे में लपेट कर निगल जाएँ, दो घूँट से अधिक पानी न पीएँ। बिना कष्ट के शीघ्र ही प्रसव हो जाएगा।

हींग (1/16 ग्राम) को 1 चम्मच लौंग के अर्क में मिलाकर दिन में 3 बार कुछ महीनों तक जच्चा को देने से प्रसव के बाद स्त्राव को रोकने में कुछ महीने माँ को इसे दिन में 3 बार देने से माँ का दूध बढता है। साथ ही इससे उदर फूलता नहीं है और पाचन क्रिया में मदद मिलती है।
प्रसव के बाद हींग का सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है तथा हींग गर्भाशय-संकोचक का कार्य करती है।
हींग के धुएँ में जीवाणुनाशक गुण होता है अतः प्रसव के बाद प्रसूता को खोखले मूढे पर बैठाकर अंगारे पर हींग रखकर धुआँ देना चाहिए।
हींग आधी चुटकी घी में भूनी हुई, अजवाइन 4 ग्राम, काला नमक 3 ग्राम – इन सबको पीस लें। प्रसव के बाद गर्भाशय का संकुचन, दूषित स्त्राव, जरायु के दूषित अंश निकलना आदि में सुबह-शाम प्रसूता को 1-1 चुटकी चूर्ण खिलाएँ।
हींग 2 रत्ती भुनी हुई को घी में मिलाकर गरम पानी के साथ लें। पेडू के दर्द में लाभ होगा।
हींग भुनी हुई 1 रत्ती, लहसुन का रस 6 ग्राम को गाय के घी में मिलाकर गर्म करने के बाद पेडू के दर्द में लें।
हींग 2 ग्राम, पीपल, पीपलामूल को गुङ के गरम पानी में दें। जरायु के छोटे-छोटे टुकङे आसानी से निकलना, गर्भाशय का दर्द, नाभि के नीचे दर्द, सुई चुभना, गोला बनना, अफारा आदि में लाभ होगा।