आधुनिक भारतइतिहास
मुस्लिम लीग के चौदह सूत्री कार्यक्रम (1929)
मुस्लिम लीग के चौदह सूत्री कार्यक्रम (1929)
चौदह सूत्री कार्यक्रम – मुस्लिम लीग द्वारा एम.ए.जिन्ना के नेतृत्व में 28 मार्च, 1929 ई. को दिल्ली की बैठक में चौदह सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की गयी।
नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकृत करने के बाद जिन्ना द्वारा यह कहा गया कि जब तक इन सिद्धांतों को लागू नहीं किया जाता तब तक भारत सरकार के भविष्य की योजनाओं को मुस्लिमों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। ये सिद्धांत निम्न थे-

- भविष्य का संविधान संघीय हो तथा प्रांतों में विशिष्ट शक्ति निहित हो।
- सभी विधानमंडल तथा अन्य चुनी गई संस्थाएं, प्रत्येक प्रांत में अल्पसंख्यकों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर बनी हों।
- सभी प्रांतों को एकरूप स्वायत्तता प्राप्त हो।
- केन्द्रीय विधाियिका में मुस्लिम प्रतिनिधियों की संख्या एक तिहाई से कम हो।
- सांप्रदायिक वर्गों का प्रतिनिधित्व अलग निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा जारी रहना चाहिए।
- पंजाब, बंगाल तथा उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांतों में (एन.डब्लू. एफ.पी.) भविष्य में कोई भी प्रदेशीय पुनर्वितरण मुस्लिम बहुलसंख्या को प्रभावित नहीं करना चाहिए।
- सभी संप्रदायों को पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिये।
- किसी भी चुनावी संस्था में कोई भी बिल पारित नहीं होगा यदि किसी संप्रदाय के तीन चौथाई चुने गए सदस्यों द्वारा इसका विरोध किया गया हो।
- बंबई प्रांत से सिंध को अलग कर देना चाहिये।
- अन्य प्रांतों की तरह ब्लूचिस्तान तथा उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांतों में सुधार शुरू करने चाहिये।
- सभी प्रकार की सेवाओं में मुस्लिमों को पर्याप्त हिस्सा दिया जाना चाहिये।
- मुस्लिम सभ्यता की सुरक्षा के लिये पर्याप्त रक्षा के उपाय किए जाने चाहिए।
- कम से कम एक तिहाई मुस्लिम मंत्रियों के बिना किसी भी मंत्रिमंडल को स्वीकार नहीं किया जाये।
- संघ शासित राज्यों की सहमति के बिना संविधान में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिये।
References : 1. पुस्तक- भारत का इतिहास, लेखक- के.कृष्ण रेड्डी

Online References wikipedia : चौदह सूत्री कार्यक्रम