सब्रे(सेव्रेस) की संधि
10 अगस्त, 1920 को मित्रराष्ट्रों ने तुर्की की भगोङी सरकार के साथ सेब्रे की संधि की। तुर्की के सुल्तान के प्रतिनिधियों को भी इस संधि पर विवश होकर हस्ताक्षर करने पङे थे क्योंकि तुर्की की राजधानी तथा विभिन्न महत्त्वपूर्ण सामरिक क्षेत्रों पर मित्रराष्ट्रों की सेनाओं का अधिकार बना हुआ था। इस संधि के अनुसार मुख्य शर्तें निम्नलिखित थी-

- एशिया माइनर, थ्रेस का कुछ भू-भाग एड्रियानोपल और गैलीपोली यूनान को दिए गए।
- तुर्की ने मिस्त्र, सूडान, साइप्रस, ट्रिपोलीटानिया, मोरक्को, ट्यूनिशिया, अरब, फिलिस्तीन, मेसोपोटामिया और सीरिया पर अपने सभी अधिकारों और हितों को त्याग दिया।
- एशिया माइनर, थ्रेस का कुछ भू-भाग एड्रियानोपल और गैलीपोली यूनान को दिए गए
- सीरिया फ्रांस के संरक्षण में और फिलिस्तीन, मेसोपोटामिया इंग्लैण्ड के संरक्षण में रखे गए
- हेजाज के राजा को स्वतंत्र मान लिया गया
- इटली को रोड्स तथा डोडेकनीज द्वीप-समूह मिले
- आर्मीनिया को स्वतंत्र बना दिया गया और कुर्दिस्तान को स्वतंत्रता का आश्वासन दिया गया।
- दर्रे दानियाल के जलडमरूमध्य को किलेबंदी रहित बनाकर अन्तर्राष्ट्रीय प्रदेश मान लिया गया।
- तुर्की की सैनिक शक्ति को 50 हजार सैनिकों तक सीमित कर दिया गया। उसकी नौ-सेना को भंग कर दिया गया और वायु सेना पूरी तरह से नष्ट कर दी गई।
- कुस्तुन्तुनिया, अलेक्जेण्ड्रिया, स्मर्ना आदि बंदरगाहों को अन्तर्राष्ट्रीय नियंत्रण के अन्तर्गत रख दिया गया। तुर्की की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखते हुए उस पर क्षतिपूर्ति के अन्तर्गत रख दिया गया। तुर्की की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखते हुए उस पर क्षतिपूर्ति की रकम नहीं थोपी गई। परंतु उसे युद्ध के लिये दोषी अवश्य ठहराया गया।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा
Online References wikipedia : सेब्रे की संधि