1848 की क्रांति का स्वरूप और महत्त्व
1848 की क्रांति का स्वरूप : फ्रांस की 1848 की क्रांति एक आकस्मिक क्रांति थी अर्थात् क्रांति की कोई योजना नहीं थी। क्रांति के नेताओं के मन में क्रांति का कोई विचार नहीं था। वे तो केवल सुधारों की माँग कर रहे थे, किन्तु क्रांति के तीसरे दिन क्रांति का स्वरूप गणतंत्रीय हो गया। उन्होंने लुई फिलिप के वैधानिक राजतंत्र को समाप्त करके गणतंत्र की स्थापना कर दी।
1848 की क्रांति का स्वरूप और परिणाम
इसी समय गणतंत्रवादियों को समाजवादियों की चुनौती का सामना करना पङा तथा उनकी कुछ माँगों को भी पूरा करना पङा। इस प्रकार दो तीन महीने तक गणतंत्रवादियों एवं समाजवादियों में संघर्ष चलता रहा, किन्तु जून के विद्रोह में समाजवादी परास्त हुए, क्योंकि किसानों तथा मध्यम वर्ग के लोगों को इस बात का भय था, कि समाजवादी और साम्यवादी, क्रांति की उपलब्धियों को नष्ट कर देंगे। समाजवादियों पर गणतंत्रवादियों की विजय से क्रांति का तीसरा सोपान समाप्त हो गया। चतुर्थ एवं अंतिम सोपान में बोनापार्टिस्टों की विजय हुई तथा लुई नेपोलियन तृतीय गणतंत्र का राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। उसी के समय से गणतंत्र की समाप्ति के प्रयत्न स्थापित हो गए थे, अतः गणतंत्र समाप्त हो गया। नेपोलियन तृतीय का साम्राज्य स्थापित हुआ।

इस प्रकार 1848 की क्रांति का स्वरूप में उच्च मध्यम वर्गीय, सुधारवादियों, गणतंत्रवादियों तथा समाजवादियों का प्रभाव रहा तथा अंत में वही मध्यम वर्ग जिसने 1789 एवं 1830 की क्रांतियों से लाभ उठाया था, विजयी रहा। इस प्रकार, 1789 की भाँति 1848 की क्रांति में भी क्रांतिकारी करना कुछ और चाहते थे, किन्तु हो कुछ और गया। दोनों ही बार जनता की प्रभुसत्ता स्थापित करने का प्रयत्न किया गया, किन्तु दोनों ही बार नेपोलियन का साम्राज्य स्थापित हो गया।
1848 की क्रांति फ्रांस के राजनैतिक इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण घटना है। इस क्रांति ने मताधिकार का विस्तार करके मध्यम वर्ग में सत्ता छीनकर समाज को सौंप दी। इस क्रांति ने जनतंत्र के विकास में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। 25 फरवरी 1848 रो गणतंत्रीय सरकार ने एक विज्ञप्ति प्रसारित की, जिसमें कहा गया कि प्रत्येक नागरिक को रोजगार उपलब्ध करने का अधिकार होगा। अतः 1848 की क्रांति का स्वरूप मजदूरों और कारीगरों के लिये महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ।
क्रांति से फ्रांस में वैधानिक राजतंत्र का प्रयोग असफल हो गया। क्रांतिकारियों ने राजतंत्र को समाप्त कर उसके स्थान पर गणतंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया। इस क्रांति का सर्वाधिक महत्त्व तो इस बात में है, कि फ्रांस की 1848 की क्रांति ने यूरोप के अनेक राज्यों में क्रांतिकारी एवं उदारवादी आंदोलनों को प्रोत्साहित किया तथा यूरोप का अधिकांश भाग क्रांति की चपेट में आ गया।
फ्रांस तथा यूरोप के इतिहास में 1848 की क्रांति का अत्यधिक महत्व है। इसने जनता के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में परिवर्तन लाने का प्रयास किया। 1848 की क्रांति में सामाजिक एवं आर्थिक समानता पर विशेष जोर दिया और मजदूरों तथा कारीगरों को अधिकाधिक सुविधाएं देने का प्रयत्न किया।
क्रांति के फलस्वरूप यूरोप के राजनीतिक विचारों में परिवर्तन की एक लहर पैदा हुई। उदार एवं राष्ट्रीय विचारों के विकास के साथ अब गुप्त समितियों का स्थान संगठित आंदोलनों ने ले लिया।
क्रांति के फलस्वरूप यूरोप भर में निरंकुश शासन की नींव हिल गई। राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक स्वतंत्रता के विचार पनपने लगे फलस्वरूप यूरोप के देशों में वैधानिक शासन का विकास हुआ। सार्डिनिया, स्विट्जरलैण्ड, फ्रांस, हॉलैण्ड में वैधानिक शासन की स्थापना के लिए जन आंदोलन हुआ और उन्हें सफलता भी मिली। इंग्लैण्ड में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अधिक व्यापक हुये।
सामूहिक चेतना का युग आरंभ हुआ। क्रांति ने जनसमूह के महत्व को सामने रखा। जो चेतना पहले कुछ व्यक्तियों एवं नेताओं तक सीमित थी अब वह जनसमूह की चेतना बन गई। राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक अन्यायों के विरूद्ध खड़े होने के लिए जनता अब किसी नेता की प्रतीक्षा नहीं करती थी।
क्रांति का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि “जनमत का अधिकार” अब केवल मध्यम वर्ग तक सीमित न रह कर पूरी जनता को मिल गया। आर्थिक लोकतंत्र के विषय में यह एक विशेष घटना थी।क्रांति ने वह मार्ग प्रशस्त कर दिया जिस पर चलकर प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का और सार्डिनिया के नेतृत्व में इटली का एकीकरण पूरा हुआ।
मेटरनिख व्यवस्था का अंत हुआ जो उदारवाद को एक ‘संक्रामक रोग’ समझता था।

सैनिक शक्ति का महत्व बढ़ा। क्रांतिकारियों ने सीख ली कि अब कोई भी क्रांति बिना सेना के सक्रिय सहयोग से सफल नहीं हो सकती।
भविष्य में सरकारें अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संगठित सैनिक शक्ति पर अत्यधिक निर्भर रहने लगी। बिस्मार्क द्वारा जर्मनी का और गैरीबॉल्डी द्वारा इटली का एकीकरण सेना की शक्ति पर आधारित था।यथार्थवाद का उदय हुआ। 1848 की क्रांति की सफलता ने क्रांतिकारियों की रोमांटिक आशाओं को नष्ट कर दिया। अब यूरोपीय साहित्यकार यथार्थवाद की ओर झुके। लोग अपने लक्ष्यों को आदर्शवादी रूप में देखने के बजाय उसको प्राप्त करने के लिए ठोस तरीकों का यथार्थवादी मूल्यांकन करने लगे।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा
Online References
Wikipedia : Revolutions of 1848