अंग्रेजों के साथ रणजीत सिंह के संबंध किस संधि द्वारा नियंत्रित हुए?

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अंग्रेजों के साथ रणजीत सिंह के संबंध किस संधि द्वारा नियंत्रित हुए?

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अंग्रेजों के साथ रणजीत सिंह के संबंध अमृतसर की संधि के द्वारा नियंत्रित हुए। अमृतसर की संधि – अंग्रेजों तथा विरोधी सिक्ख राज्यों के भय के कारण रणजीत सिंह ने 1809 ई. में लार्ड मिंटो के दूत चार्ल्स मेटकाफ से अमृतसर की संधि कर ली। अमृतसर की संधि रणजीत सिंह तथा अंग्रेजों ( ईस्ट इंडिया कंपनी) के मध्य हुई थी। इस समय लार्ड मिंटो प्रथम, भारत का गवर्नर जनरल था। अमृतसर की संधि द्वारा रणजीत सिंह के सतलज नदी के पूर्वी तट पर विस्तार को सीमित कर दिया गया तथा उत्तर में राज्य विस्तार की छूट दी गई, संधि के बाद रणजीत सिंह ने राज्य विस्तार की पूर्वी सीमा को सतलज तक स्वीकार कर लिया। उत्तर-पश्चिम में अपने राज्य का विस्तार करते हुए रणजीत सिंह ने 1818 में मुल्तान,1819 ई. में कश्मीर तथा 1823 में पेशावर पर अधिकार कर लिया। 1809 में शाहशुजा (अब्दाली का पौत्र) जिसको उसके भाई ने अपदस्थ कर दिया था, लाहौर में निर्वासित जीवन कर रहा था।रणजीत सिंह ने उसे पुनः सत्तासीन करने में सहायता दी। राजा रणजीत सिंह को अफगान शासक शाहशुजा से ही वह प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा प्राप्त हुआ जिसे नादिरशाह लाल किले से लूटकर ले गया था। सिक्ख सेनापति हरिसिंह नलवा ने जमरूद तथा पेशावर को अफगानों के कब्जे से छीन लिया। अफगानिस्तान में रूस के हस्तक्षेप से चिंतित ईस्ट इंडिया कंपनी ने दोस मुहम्मद को हटाकर शाहशुजा को काबुल का शासक बनाया,तभी एक त्रिपक्षीय संधि (1838 में शाहशुजा, रणजीत सिंह और अंग्रेज)की जिसके द्वारा ब्रिटिश सेना को पंजाब से गुजरने का अवसर प्राप्त हो गया। अमृतसर की संधि का महत्त्व
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