तुगलक वंश का संस्थापक गयासुद्दीन तुगलक

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गयासुद्दीन तुगलक ( 1320-1325ई. )-5 सितंबर 1320 का खुसरो को पराजित करके गाजी तुगलक ने गयासुद्दीन तुगलक के नाम से तुगलक वंश की स्थापना की। यह सुल्तान कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी के शासन काल में उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत का शक्तिशाली गवर्नर नियुक्त हुआ था।
अमीर खुसरो ने “गयासुद्दीन तुगलक को बुद्धिमान शासक कहा है।तथा उसने यह भी कहा था किग गयासुद्दीन तुगलक अपने मुकुट के नीचे सैकङों पंडितों का शिरस्राण छिपाए रखता है।”
बिहार के मैथिली कवि विद्यापति की रचनाओं में गयासुद्दीन तुगलक के विषय में महत्त्वपूर्ण विवरण प्राप्त होता है।
मुल्तान की मस्जिद से प्राप्त एक अभिलेख में गाजी मलिक दावा करता है कि उसने 29 लङाइयों में तर्तारों (मं गोलों) को पराजित किया तथा गाजी उल मलिक की उपाधि धारण की।
शासक बनने के बाद इसने खुसरो द्वारा वितरित धन को पुनः प्राप्त करने पर बल दिया। इसी क्रम में सुल्तान का सूफी संत निजामुद्दीन औलिया से विवाद हो गया। इसी संदर्भ में सूफी संत ने सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक के लिये कहा था – हनुज दिल्ली दूरस्त ( दिल्ली अभी दूर है। )
गयासुद्दीन तुगलक के द्वारा करवाया गया निर्माण कार्य-
- इसने दल्ली के समीप तुगलकाबाद नामक नगर बसाया।तथा दिल्ली में मजलिस-ए-हुक्मरान की स्थापना की।
- तुगलकाबाद में रोमन शैली में एक दुर्ग का निर्माण किया जिसे छप्पनकोट के नाम से जाना जाता है।
गयासुद्दीन तुगलक के समय हुये आक्रमण-
- इसके समय 1323ई. में पुत्र जौना खाँ ( मुहम्मद बिन तुगलक ) ने वारंगल पर आक्रमण किया लेकिन असफल रहा।इस समय वारंगल का शासक प्रतापरुद्रदेव था।
- 1324ई. में जौना खाँ ने वारंगल पर पुनः आक्रमण किया इसे(वारंगल ) जीतकर इसका नाम तेलंगाना / सुल्तानपुर रखा।
- राजमुंदरी के अभिलेखों में जौना खाँ ( उलुग खाँ )को दुनिया का खान कहा गया है।
- गयासुद्दीन तुगलक का अंतिम सैन्य अभियान बंगाल की गङबङी को समाप्त करना था , क्योंकि बलबन के लङके बुगरा खाँ ने बंगाल को स्वतंत्र घोषित कर दिया था।
- 1324ई. में गयासुद्दीन ने बंगाल का अभियान किया तथा नासिरुद्दीन को पराजित कर बंगाल के दक्षिण एवं पूर्वी भाग को सल्तनत में मिलाया तथा उत्तरी भाग पर नासिरुद्दीन को अपने अधीन शासक घोषित किया।
Note: सर्वप्रथम गयासुद्दीन तुगलक ने ही दक्षिण के राज्यों को दिल्ली सल्तनत में मिलाया था। इसमें सर्वप्रथम वारंगल को मिलाया गया।
गयासुद्दीन द्वारा किये गये जनता की भलाई से संबंधित कार्य-
किसानों की स्थिति में सुधार करना तथा कृषि योग्य भूमि में वृद्धि करना उसके दो उद्देश्य थे। अलाउद्दीन खिलजी द्वारा लगाई गयी भूमि लगान तथा मंडी संबंधी नीति के पक्ष में वह नहीं था। उसने मुकद्दम तथा खुतों को उनके पुराने अधिकार लौटा दिये।
- गयासुद्दीन तुगलक ने अलाउद्दीन खिलजी द्वारा स्थापित बाजार नियंत्रण प्रणाली व भूराजस्व को त्याग दिया। तथा इसके स्थान पर अनुमान आधारित भूराजस्व प्रणालियों को फिर से अपनाया।
- लगान निश्चित करने में बटाई का प्रयोग फिर से प्रारंभ कर दिया तथा ऋणों की वसूली को बंद करवा दिया।
- अलाउद्दीन की कठोर नीति के विपरीत गयासुद्दीन तुगलक ने उदारता की नीति अपनायी जिसे बरनी ने रस्मेमियान अथवा मध्यपंथी नीति कहा है।
- इसने खुत, मुकद्दम व चौधरी को कुछ विशेषाधिकार प्रदान किये तथा उनकी भूमि को कर मुक्त कर दिया। हकूक-ए-खोती का अधिकार प्रदान कर दिया तथा किस्मत-ए-खोती को बंद कर दिया।
- इसने कर की दर को घटाया और इसे 1/2 से 1/3 भाग किया। यह सल्तनत काल का पहला शासक था जिसका मानना था कि राज्य की आय बढाने के लिये कर बढाने की बजाय उत्पादन बढाये जाने पर बल दिया जाना चाहिये।
- उत्पादन बढाने के लिये गयासुद्दीन तुगलक ने नहरों का निर्माण करवाया। ऐसा करने वाला यह सल्तनत काल का प्रथम शासक था।
- सुल्तान ने सेना में दाग व हुलिया प्रथा को बनाये रखा सैनिकों के हितों का ध्यान रखने के लिये इक्तेदारों के अधीन सैनिकों के वेतन में कटौती न करने के लिये निगरानी तंत्र स्थापित करवाया। ( इक्तेदारों पर नियंत्रण बढा दिया )
- अमीरों को पद देने में वंशानुगत के साथ-2 योग्यता को भी आधार बनाया गया ताकि इजारेदारी को समाप्त किया जा सके।
- इसने गुप्तचर व डाक व्यवस्था को मजबूत बनाया। प्रत्येक 3/4 मील पर डाक चौकियाँ स्थापित की गई।
- गयासुद्दीन तुगलक ने इक्ता भूमि के राजस्व में एक साल में 1/11 से अधिक आय न बढाने का आदेश दिया। यह हिन्दुओं के प्रति कठोर था। इसने आदेश दिया कि हिन्दू जमीदारों से इतना अधिक धन वसूला जाये कि वे विद्रोह न कर पाये तथा इतना भी न वसूला जाये कि वे खेती करना बंद कर दें।
गयासुद्दीन की मृत्यु-
- 1325ई. में बंगाल विजय के बाद वापिस दिल्ली लौटते समय दिल्ली से कुछ दूर जौना खाँ द्वारा सुल्तान के स्वागत के लिये बनाये गये लकङी के महल से गिर जाने से सुल्तान की मृत्यु हो गयी।
- तुगलकाबाद ( दिल्ली ) में इसे दफनाया गया।
- लकङी के महल को बनाने वाला कारीगर अहमद नियाज था।
- बरनी और फरिश्ता के अनुसार बिजली गिरने से लकङी का महल गिर गया।
- इब्नबतूता व इसामी के अनुसार यह जौनाखाँ का षङयंत्र था।
गयासुद्दीन तुगलक ने लगभग सम्पूर्ण दक्षिम भारत को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया था।
Reference: https://www.indiaolddays.com/