हर्षवर्धन तथा उसका प्रारंभिक जीवन
गुप्त साम्राज्य के विघटन के बाद उत्तर भारत में जिस राजनैतिक विकेन्द्रीकरण के युग का आरंभ हुआ, हर्षवर्द्धन के राज्यारोहण के साथ ही उसकी समाप्ति हो गयी। वर्धन वंश या पुष्यभूतिवंश के सबसे पराक्रमी सम्राट (हर्षवर्धन)ने अपनी उपाधियों के द्वारा उत्तर भारत के विशाल भू भाग पर अधिकार स्थापित कर लिया।

हर्षवर्धन प्राचीन भारत के प्रमुख सम्राट अशोक और समुद्रगुप्त के समान ही एक विस्तारवादी तथा प्रतिभाशाली शासक था। जिसने इतिहास में अपने यश की पताका फहराई थी।
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हर्षवर्धन का प्रारंभिक जीवन
हर्षवर्धन का जन्म 591 ईस्वी में हुआ था। हर्ष के प्रभाकरवर्धन का पुत्र था। इसकी माता का नाम यशोमती था। हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट ने अपने ग्रंथ हर्षचरित के चौथे उच्छवास में हर्ष के बचपन की घटनाओं का वर्णन किया है।
बाण के अनुसार यशोमती के गर्भ तथा ह्रदय में एक साथ ही हर्ष का उदय उसी प्रकार हुआ, जिस प्रकार, देवी के गर्भ में चक्रपाणि का। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष द्वादशी को हर्ष का जन्म हुआ था। राजज्योतिषी तारक के अनुसार ऐसा शुभ योग चक्रवर्ती सम्राट के ही जन्म के अवसर पर होता है।
हर्ष का बचपन उसके ममेरे भाई भण्डि तथा मालवराज महासेनगुप्त के दो पुत्रों – कुमारगुप्त और माधवगुप्त के साथ व्यतीत हुआ। उसे राजकुमारों के अनुरूप शिक्षा-दीक्षा दी गयी। वह विविध शस्रों को चलाने में कुशल हो गया।
बाणभट्ट की दूसरी कृति कादंबरी है, जिसमें उस समय के विद्यार्थियों को व्याकरण, न्याय, रामायण, महाभारत, राजनीति, पुराण आदि की शिक्षा दी जाती थी, जो हर्ष को भी दी गयी थी।
राज्यवर्धन की मृत्यु के बाद 606 ईस्वी में थानेश्वर के सिंहासन पर हर्ष को बैठाया गया।उस समय हर्ष का सेनापति सिंहनाद था।
जब हर्ष का राज्यारोहण हुआ उस समय उसके सामने कई समस्यायें थी, जिनका निवारण उसको करना था, जिनका विवरण निम्नलिखित है–
- गौङनरेश शशांक को मारकर अपने भाई राज्यवर्धन की मृत्यु का बदला लेना।
- अपनी बहन
- राज्यश्री को कन्नौज के कारागार से मुक्त कराना।
- उन सभी राजाओं एवं सामंतों को दंड देना, जिन्होंने समय का लाभ उठाते हुए अपनी स्वतंत्रता घोषिक कर दी थी।
इस प्रकार हम कह सकते हैं, कि हर्ष ने अल्पायु में ही थानेश्वर के शासन की बागडोर संभाली तथा अपने शत्रुओं को भी मुँहतोङ जवाब दिया। वहीं उत्तरी भारत के विशाल भू भाग को अपने साम्राज्य के अंतर्गत संगठित कर लिया।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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