प्राचीन भारत
- सितम्बर- 2019 -5 सितम्बर
गुप्तों की भूमि एवं राजस्व व्यवस्था का इतिहास
भूमिकर संग्रह करने के लिये ध्रुवाधिकरण तथा भूमि आलेखों को सुरक्षित करने के लिये महाक्षपटलिक और करणिक नामक पदाधिकारी थे।…
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गुप्तों का सैनिक संगठन कैसा था
गुप्तवंशी सम्राट स्वयं कुशल योद्धा होते थे तथा व्यक्तिगत रूप से युद्धों में भाग लेते एवं सेना का संचालन करते…
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गुप्त काल में मृण्मूर्ति कला
विष्णु, कार्तिकेय, दुर्गा, गंगा, यमुना आदि देवी-देवताओं की बहुसंख्यक मृण्मूर्तियाँ पहाङपुर, राजघाट, भीटा, कौशांबी, श्रावस्ती पवैया, अहिच्छत्र, मथुरा आदि स्थानों…
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रुद्रसेन द्वितीय का इतिहास
पृथ्वीसेन प्रथम के बाद उसका पुत्र रुद्रसेन द्वितीय (385-390 ईस्वी) गद्दी पर बैठा। इस समय से वाकाटकों पर गुप्तों का…
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वाकाटक शासक पृथ्वीसेन प्रथम का इतिहास
दक्षिण महाराष्ट्र के ऊपर वाकाटकों का अधिकार हो गया। नचना तथा गज्ज (बघेलखंड क्षेत्र) से व्याघ्रदेव नामक किसी शासक के…
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गुप्तों का सामाजिक जीवन
सती प्रथा का उल्लेख केवल 510 ईस्वी के भानुगुप्त के एरण अभिलेख में मिलता है, जिसके अनुसार उसके मित्र गोपराज…
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गुप्त काल में न्याय प्रशासन
फाहियान के विवरण से पता चलता है,कि दंडविधान अत्यंत कोमल था। मृत्युदंड नहीं दिया जाता था, और न ही शारीरिक…
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प्रवरसेन प्रथम का इतिहास
प्रवरसेन के बाद वाकाटक साम्राज्य स्पष्ट रूप से दो शाखाओं में विभक्त हो गया -
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वाकाटक शासक विन्ध्यशक्ति का इतिहास
अल्तेकर का अनुमान है,कि विन्ध्यशक्ति उसका मौलिक नाम न होकर विरुद था और विन्ध्यक्षेत्र में अपना राज्य स्थापित कर लेने…
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वाकाटक राजवंश का इतिहास
वाकाटक इतिहास के अध्ययन के लिये हम साहित्य तथा अभिलेखों दोनों का उपयोग करते हैं। साहित्य के अंतर्गत पुराणों का…
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